
कोरबा। साउथ ईस्टर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड की परियोजना से संबंधित लंबित समस्याओं को लेकर भूविस्थापितों ने रैली निकालकर कोरबा में कलेक्ट्रेट के सामने प्रदर्शन किया। इसमें बड़ी संख्या में महिलाएं भी शामिल हुई। छत्तीसगढ़ किसान सभा के नेतृत्व में यह प्रदर्शन हुआ इस दौरान अधिकारियों के साथ प्रदर्शनकारियों की तीखी नोकझोंक हुई। विस्थापितों का आरोप है कि हर बार प्रशासन दखल देकर मामले को लटकाने में कुछ ज्यादा ही ध्यान दे रहा है। क्वार के महीने में हो रही बारिश की परवाह न करते हुए सैकड़ो की संख्या में भुविस्थापित वर्ग ने पावर सिटी कोरबा में झंडा बैनर के साथ रैली निकाली और जमकर नारेबाजी की। उनका यह प्रदर्शन एसईसीएल और जिला प्रशासन के विरुद्ध था। कोयला कंपनी के चार क्षेत्र अंतर्गत लोगों की जमीन से जुड़े इस मामले में कई प्रकार की समस्याएं वर्षों से कायम है। रोजगार, मुआवजा, बसाहट के प्रकरण अब तक लंबित है। इसके चलते लोग परेशान है। इस तरह की 14 सूत्रीय समस्या को लेकर किसान सभा आक्रामक है। कोरबा की सड़कों पर लोगों के इस प्रदर्शन को लोगों ने देखा और इस पर हैरानी जताई। रैली में काफी भीड़ होने की जानकारी मिलने के कारण पहले से ही जिला कार्यालय के मुख्य द्वार को बंद कर वहां पुलिस बल तैनात कर दिया गया। ऐसी स्थिति में प्रदर्शन करने वाला वर्ग सड़क पर बैठ गया और नारेबाजी शुरू कर दी। काफी देर तक यहां पर शोर शराब जारी रहा इस बीच प्रशासन के अधिकारियों ने प्रदर्शन करने वाले लोगों से बातचीत की कोशिश की लेकिन इसके कोई नतीजे नहीं आ सके। किसान सभा के पदाधिकारी ने बताया कि एसईसीएल की विभिन्न परियोजनाओं से संबंधित मामलों को लेकर प्रदर्शन किया गया है । जानबूझकर लोगों को परेशान करने का काम कोयला कंपनी कर रही है। ड्ढ4ह्ल प्रशांत झा, किसान सभा पदाधिकारी किसान सभा का आरोप है कि जब कभी ह्यद्गष्द्य के विरुद्ध प्रदर्शन होता है तो प्रशासन दखल देता है और मामले को लटका देता है। एक तरफ सरकार कोयला आवश्यकता की पूर्ति के लिए उत्पादन बढ़ाने पर जोर दे रही है और दूसरी तरफ भुअर्जन के मामलों में लेटलतीफी पर चुप है। इन्ही कारणों से आक्रोश की आग लगातार बढ़ रही है।