
बिश्रामपुर। शुरुआती दौर से ही भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ा 27 करोड़ रुपये लागत से कुरुवां व डेडरी ग्राम के मध्य रेण नदी में निर्मित रेहर एनीकट का एक बड़ा हिस्सा लगातार धंसक रहा है। शनिवार की रात को एनीकट का बड़ा हिस्सा धराशायी हो गया था। इससे एनीकट के ब्रिज में निर्मित भारी भरकम लोहे का स्ट्रक्चर झुकने लगा है। पिछले चार दिनों से हो रही वर्षा के बाद रेहर एनीकट के ब्रिज का स्लैब लगातार धंसक रहा है। दो दिन पूर्व क्षतिग्रस्त हो रहे एनीकट का जायजा लेने पहुंचे कलेक्टर संजय अग्रवाल के निर्देश के बावजूद जल संसाधन विभाग की उदासीनता से एनीकट का अस्तित्व संकट में है।
करीब चार साल पूर्व 27 करोड़ रुपये लागत से रेण नदी में बनकर तैयार रेहर एनीकट व व्यपवर्तन योजना के गुणवत्ता की पोल शुरुआती दौर से ही खुलने लगी थी। करीब डेढ़ वर्ष पूर्व रेहर एनीकट के पांच नंबर पियर (पिलर) बड़ी दरार के साथ छतिग्रस्त हो गया था। शनिवार को उक्त पियर एनीकट के मूल ढांचे से लगभग अलग सा हो गया है। उसकी दरार में छड़ की भारी कमी से निर्माण में निर्धारित मापदंडों की अनदेखी स्पष्ट नजर आ रही है। वहीं एनीकट के पांच व छह नंबर गेट का फ्लोर ध्वस्त होने के कारण गेट बंद होने के बाद भी नदी का पानी फ्लोर के नीचे से बह रहा है। एनीकट का पियर क्षतिग्रस्त होने से एनीकट काभारी भरकम लोहे का गेट स्ट्रक्चर के धराशाई होने की आशंका बनी हुई है। बता दें कि शुरुआती दौर से ही भ्रष्टाचार की भेंट चढ़े रेहर एनीकट के दो गेटों के बीच का करीब 25 फीट अप एवं डाउन स्ट्रीम एक साल पहले क्षतिग्रस्त हुआ था। जिसे जल संसाधन विभाग द्वारा आनन-फानन में मरम्मत कराकर मामले में लीपापोती कर दी थी। नगर से तीन किलोमीटर दूर सतपता व डेडरी गांव के बीच से गुजरी रेड़ नदी में करीब चार वर्ष पूर्व निर्धारित समय सीमा से आठ वर्ष बाद बनकर तैयार रेहर एनीकट व व्यपवर्तन योजना शुरू से ही विवादों में रही है। निर्माण कार्य में भ्रष्टाचार को लेकर जल संसाधन विभाग के कई अधिकारियों को निलंबित भी किया जा चुका है। इस परियोजना के निर्माण कार्य का भूमिपूजन जनवरी 2003 में तत्कालीन मुख्यमंत्री डा. रमन सिंह ने किया था। 12 जून 2004 को सरगुजा विकास प्राधिकरण की बैठक में जिले के ग्राम सुंदरपुर के नजदीक छत्तीसगढ़ राज्य विद्युत मंडल द्वारा प्रस्तावित थर्मल पावर प्लांट के लिए जल प्रदाय हेतु वाटर हार्वेस्टिंग स्ट्रक्चर के निर्माण का निर्णय लिया गया था। इसके परिपालन में उक्तस्थल पर रेड़ नदी एवं इसकी सहायक ट्रिब्यूटरी पर छह नग वाटर हार्वेस्टिंग स्ट्रक्चर प्रस्तावित किए गए थे। उनमें रेहर एनिकट भी एक था। प्रशासकीय स्वीकृति विलंब से मिलने के कारण एनीकट का कार्य वर्ष 2009 में प्रारंभ किया गया था। जिसे वर्ष 2011 में पूर्ण किया जाना निर्धारित था। निर्माण के दौरान भुगतान में गड़बड़ी एवं समय सीमा पर एनीकट निर्माण पूर्ण नहीं कराने को लेकर वर्ष 2015 में शासन द्वारा जल संसाधन विभाग के तत्कालीन कार्यपालन अभियंता जेपी पांडेय समेत प्रभारी एसडीओ एसके तिवारी व उप अभियंता एसआर चतुर्वेदी को निलंबित भी किया गया था। विभागीय उदासीनता से करीब चार साल पूर्व ही इस एनीकट का निर्माण कार्य पूर्ण किया जा सका था। साल भर पूर्व रेहर एनीकट का पांच नंबर मोटा पिलर क्षतिग्रत होने के बाद तीन दिन पूर्व झमाझम बारिश के बीच एनीकट के ब्रिज का दो भारी भरकम स्लैब क्षतिग्रस्त हो गया था। शनिवार को क्षतिग्रस्त स्लैब के समीप तीसरा स्लैब भी क्षतिग्रस्त होकर धंसकने लगा है। वहीं सालभर पूर्व क्षतिग्रस्त पियर भी और धंसक गया है। जिसके कारण एनीकट का भारी भरकम लोहे का गेट स्ट्रक्चर धराशायी होने की कगार पर पहुंच गया है। इन घटनाओं के बाद भी संबंधित विभाग की उदासीनता की वजह से कभी भी 27 करोड़ रुपए की लागत से बने इस विशालकाय एनीकट के कभी भी धराशाई होने की आशंका से नकारा नहीं जा सकता है।