कोरबा। क्या कटघोरा क्षेत्र में लिथियम खनिज के उत्खनन पर भविष्य में काम हो भी सकेगा? सवाल इसलिए उठ रहा है क्योंकि संबंधित क्षेत्र में कई प्रकार से पेंच फंसे हुए हैं। इन सबसे पहले खनन को लेकर गवेषण और अन्य औपचारिकताओं को पूरा भी करना है। इस काम के बिना उत्खनन जैसे चरण तक पहुंचना मुश्किल हो सकता है।
वर्तमान में कोरबा जिले से खनिज रायल्टी के तौर पर प्रदेश सरकार को लगभग 2000 करोड़ की राशि प्राप्त हो रही है। समय के साथ इसमें बढ़ोत्तरी की पूरी संभावना है क्योंकि कोयला खनिज का उत्पादन करने वाली खदानें बढ़ रही है। इससे देश की जरूरतें पूरी हो रही है तो कोयला कंपनी के साथ-साथ सरकार का राजस्व भी बढ़ रहा है। पिछले दिनों सूचनाएं मिली थी कि कोरबा जिले में लिथियम खनिज की उपलब्धता का पता चला है। आगामी दिनों में इसके खनन को लेकर काम की संभावना है। इस बारे में बात कहां तक पहुंची, इसे जानने को लेकर हर किसी में उत्सुकता है। तथ्यों की पड़ताल लगातार हो रही है। मामला किस स्टेज पर है, इस बारे में पतासाजी की गई तो मालूम चला कि लिथियम का खनन जितना आसान समझा जा रहा है, वैसा है नहीं। कोरबा जिले के कटघोरा क्षेत्र के अंतर्गत एक स्थान पर हुए प्राथमिक सर्वेक्षण में ज्ञात हुआ कि वहां लिथियम उपलब्ध है। खनिज विभाग के लिए यह सूचना किसी संजीवनी से कम नहीं है। इसलिए इससे उसका उत्साहित होना स्वाभाविक है। खबर के अनुसार अभी यह पता लगाना बाकी है कि कितने क्षेत्र में लिथियम मौजूद है और वह कितने समय तक अपने खनन से सरकार को लाभ दे सकेगा। इससे प्रत्यक्ष और परोक्ष रोजगार व अन्य संबंधित लाभ का पूर्व आंकलन करना भी जरूरी हो गया है लेकिन समस्या इस बात को लेकर है कि जिस क्षेत्र में लिथियम की मौजूदगी का पता चला है, उसी तरफ सिंचाई विभाग का एनिकट प्रस्तावित है। ऐसे में दोनों की व्यवहारिकता तय करना एक बड़ा मसला है। उपर से लिथियम खनन को लेकर व्यापक सर्वेक्षण के साथ-साथ उसके लिए पर्यावरणीय अनुमति और उसके बाद तकनीकी व अन्य औपचारिकताओं को पूरा करने की चुनौती है।