नईदिल्ली, 01 जुलाई ।
18वीं लोकसभा का पहला सत्र जारी है। सोमवार को राष्ट्रपति के अभिभाषण पर चर्चा के दौरान विपक्ष ने हंगामा किया। विपक्ष की मांग थी कि नीट परीक्षा मुद्दे पर पूरे एक दिन चर्चा की जाए। स्पीकर ने बात नहीं मानी, तो विपक्ष ने सदन का बहिष्कार कर दिया। इससे पहले लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने प्रधानमंत्री मोदी से इस मुद्दे पर चर्चा की मांग की थी। जिसके बाद संसद में हंगामा हो गया था।
इस बीच, कांग्रेस ने 1 जुलाई से लागू हुए तीन नए कानूनों का विरोध करना शुरू कर दिया है। पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने इसे ‘बुलडोजर न्याय’ करार दिया है। कांग्रेस ने इस मुद्दे को संसद में उठाने का फैसला किया है। सदन की कार्यवाही रोककर इस पर चर्चा की मांग की गई है। राज्यसभा में मल्लिकार्जुन खरगे, तो लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी इस मुद्दे पर बोल सकते हैं। दिल्ली के मंत्री सौरभ भारद्वाज ने कहा, कानूनों में कोई खामी नहीं थी। खामियां उनके कार्यान्वयन में हैं, जांच एजेंसियों में हैं, पुलिस उन कानूनों पर कार्रवाई नहीं करती है। मुझे लगता है कि नए कानूनों से आने वाले कई वर्षों तक बहुत बड़ी उलझन रहेगी। एक सामान्य नागरिक ने कुछ कानूनों को बड़ी मुश्किल से समझा था, अब नई धाराओं के तहत उसे अपना केस दायर करने में कठिनाई का सामना करना पड़ेगा। मुझे लगता है कि इससे पुलिस की मनमानी को बढ़ावा मिलेगा। वहीं कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी ने ट्वीट करके तीनों कानूनों को तुरंत रोकने की मांग की है। उन्होंने लोकसभा में स्थगन प्रस्ताव नोटिस दिया। उन्होंने कहा कि इन कानूनों के जरिए पुलिसिया स्टेट की नींव डाली जा रही है। नए क्रिमिनल कानून भारत को वेलफेयर स्टेट से पुलिस स्टेट बनाने की नींव रखेंगे। उन्होंने कहा कि संसद में इन कानूनों पर फिर से चर्चा हो उसके बाद ही कोई फैसला लिया जाएगा। कांग्रेस नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री पी चिदंबरम ने भी इन कानूनों का विरोध जताया है। उन्होंने एक्स पर लिखा, आईपीसी, सीआरपीसी और भारतीय साक्ष्य अधिनियम की जगह लेने वाले तीन आपराधिक कानून आज से लागू हो गए हैं। 90-99 प्रतिशत तथाकथित नए कानून कट, कॉपी और पेस्ट का काम हैं। जो कार्य मौजूदा तीन कानूनों में कुछ संशोधनों के साथ पूरा किया जा सकता था, उसे एक बेकार प्रक्रिया में बदल दिया गया हैहां, नए कानूनों में कुछ सुधार हुए हैं और हमने उनका स्वागत किया है। इन्हें संशोधन के रूप में पेश किया जा सकता था।