अबुजा, १७ नवंबर।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तीन देशों की यात्रा के पहले चरण में रविवार सुबह नाइजीरिया पहुंचे। नाइजीरिया के राष्ट्रपति बोला अहमद टिनुबू ने अबुजा हवाई अड्डे पर उनका स्वागत किया। वहां के केंद्रीय राजधानी क्षेत्र से मंत्री ने उन्हें प्रतीकात्मक रूप से अबुजा शहर की चाबी भेंट की। पिछले 17 वर्षों में किसी भारतीय प्रधानमंत्री का इस देश में पहला दौरा है। इससे पहले वर्ष 2007 में तत्कालीन पीएम मनमोहन सिंह ने नाइजीरिया की यात्रा की थी। अबुजा हवाई अड्डे पर बड़ी तादाद में भारतीय समुदाय के लोग पीएम मोदी का स्वागत करने के लिए पहुंचे थे। लोगों ने इस मौके पर भारत माता की जय और वंदे मातरम के नारा लगाए। नाइजीरिया में भारतीय समुदाय को उनका स्वागत करने के लिए धन्यवाद देते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने एक्स पर एक पोस्ट लिखा, नाइजीरिया में भारतीय समुदाय द्वारा इतना गर्मजोशी और जीवंत स्वागत देखकर बहुत खुशी हुई! उन्होंने नाइजीरिया में रहने वाले भारतीय समुदाय की भी प्रशंसा की। प्रधानमंत्री ने पश्चिमी अफ्रीकी देश में रहने वाली बड़ी संख्या में भारतीय महिलाओं, बच्चों और पुरुषों से बातचीत की और उनके साथ तस्वीरें भी अपलोड कीं। पीएम मोदी के इस यात्रा के दौरान के भारत और नाइजीरिया के बीच स्थापित रणनीतिक साझेदारी को आगे बढ़ाने की कोशिश की जाएगी।
रक्षा क्षेत्र को लेकर भी दोनों देशों के बीच विस्तृत चर्चा होने की उम्मीद है। नाइजीरिया छोटे हथियारों, गोला-बारूद और बख्तरबंद वाहनों जैसे क्षेत्रों में साझेदारी के लिए भारत की तरफ काफी उत्सुक है। आर्थिक दृष्टिकोण से सबसे संपन्न अफ्रीकी देशों में से एक नाइजीरिया और भारत के मधुर रिश्तों में आने वाले दिनों में गर्माहट और तेज होने के आसार है। खासतौर पर दोनों देशों के बीच आर्थिक व सैन्य सहयोग के नए युग की शुरुआत होने के संकेत है। राष्ट्रपति बोला अहमद तिनुबू के साथ आज (रविवार) उनकी द्विपक्षीय बैठक होगी। बैठक में आपसी सहयोग को लेकर कई नई घोषणाएं होने की संभावना है।
भारत की पूरी कोशिश है कि 17 वर्ष किसी भारतीय प्रधानमंत्री की नाइजीरिया यात्रा का दूरगामी असर हो। पीएम मोदी की इस यात्रा से नाइजीरिया में भारतीय कंपनियों के निवेश के लायक बेहतर माहौल बनाने में मदद मिलेगी। हाल के वर्षों में दर्जनों भारतीय कंपनियों ने नाइजीरिया में निवेश की शुरुआत की है। असलियत में नाइजीरिया उन गिने-चुने अफ्रीकी देशों मे शामिल है, जहां भारतीय कंपनियां सफलतापूर्वक चीनी कंपनियों के साथ प्रतिस्पर्धा कर रही हैं।