चंडीगढ़, २७ सितम्बर । शिरोमणि अकाली दल ने मुक्तसर के एक वकील के खिलाफ अत्याचार और अप्राकृतिक यौन संबंध के लिए उकसाने के मामले की उच्च न्यायालय की निगरानी में सीबीआई जांच कराने की मांग की है। शिअद ने मुक्तसर के एसएसपी को निलंबित करने और इस जघन्य अपराध में शामिल सभी पुलिस कर्मियों को गिरफ्तार कर बर्खास्त करने की भी मांग की है।पार्टी दफ्तर में वरिष्ठ नेता डॉ. दलजीत सिंह चीमा ने कहा कि मुख्यमंत्री भगवंत मान को इस्तीफा दे देना चाहिए। क्योंकि वह गृहमंत्री के रूप में अपने कर्तव्य में विफल रहे हैं। उन्होंने आम आदमी पार्टी की सरकार से यह बताने को कहा कि मुक्तसर के मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट के स्पष्ट आदेश के बाद मामला दर्ज करने के अलावा पुलिस के खिलाफ कार्रवाई क्यों नहीं की गई।डॉ. चीमा ने कहा कि पंजाब पुलिस कर्मियों द्वारा मानवाधिकार उल्लंघन का एकमात्र मामला नहीं है। इससे पहले जालंधर में ढिल्लों भाइयों के खिलाफ पुलिस बर्बरता ने उन्हें ब्यास नदी में कूदने के लिए मजबूर कर दिया था। जिसके कारण एक भाई की मृत्यु हो गई थी तथा दूसरे भाई का अभी तक पता नहीं लगा है। पार्टी के लीगल सेल के अध्यक्ष अर्शदीप सिंह कलेर ने कहा कि मुक्तसर एसएसपी ने तब तक आरोपितों को पनाह दी जब तक अदालत ने मामले में हस्तक्षेप नहीं किया। उन्होंने कहा कि भले ही पंजाब, हरियाणा और केंद्र शासित प्रदेश में वकील अनिश्चितकालीन हड़ताल पर चले गए हैं, लेकिन पंजाब के मुख्यमंत्री ने मामले में न्याय सुनिश्चित करने के लिए हस्तक्षेप नहीं किया है।भाजपा के लीगल सेल ने भी मुक्तसर में हुई घटना में शामिल पुलिस अधिकारियों को तुरंत बर्खास्त करने की मांग की। भाजपा लीगल सेल के संयोजक एडवोकेट एनके वर्मा ने पार्टी दफ्तर में पत्रकारों से बातचीत करते हुए कहा कि मुक्तसर साहिब के वकील वरिंदर सिंह जो अपने मुवक्किल के साथ पुलिस स्टेशन गए थे, जिन पर पुलिस द्वारा अमानवीय अत्याचार किया गया, जो अत्यंत चिंता का विषय है।उन्होंने मांग की कि आरोपी पुलिस अधिकारियों को तुरंत बर्खास्त करके गिरफ्तार किया जाए। उन्होंने कहा कि इंस्पेक्टर रमन कुमार (प्रभारी सीआईए स्टाफ मुक्तसर साहिब), रमनदीप सिंह भुल्लर (एसपी जांच श्री मुक्तसर साहिब), संजीव गोयल (डीएसपी श्री मुक्तसर साहिब), वरिष्ठ कांस्टेबल हरबंस सिंह, वरिष्ठ कांस्टेबल भूपिंदर सिंह, कांस्टेबल गुरप्रीत सिंह, पीएचजी दारा सिंह और 4-5 अज्ञात पुलिस कर्मियों ने दुर्व्यवहार किया।उन्होंने वकील को बुरी तरह पीटा, उनके कपड़े उतार दिए, उन्हें ऐसी अमानवीय यातनाएं दीं, जिसका वर्णन नहीं किया जा सकता। फिर उक्त पुलिस अधिकारियों ने उसका वीडियो भी तैयार किया और उसे धमकाया और कहा कि अगर उसने कोर्ट को कुछ बताया तो उसका वीडियो वायरल कर दिया जायेगा।