नईदिल्ली, 0२ सितम्बर ।
पंजाब, हरियाणा एवं उत्तर प्रदेश के अलग-अलग हिस्सों में पराली जलाने का समय पास आते देख वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग हरकत में आ गया है। तीनों राज्यों, नेशनल थर्मल पावर कारपोरेशन (एनटीपीसी) एवं एनसीआर के सभी थर्मल पावर प्लांटों को निर्देश दिए गए हैं कि वह ईंधन के तौर पर 10 प्रतिशत तक अनिवार्य रूप से पराली का इस्तेमाल करें, जो प्लांट इसका पालन नहीं करेगा, उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। गौरतलब है कि अक्टूबर की शुरुआत से ही पंजाब, उत्तर प्रदेश और हरियाणा में पराली जलाने की घटनाएं सामने आने लगती हैं। यह सिलसिला नवंबर मध्य तक अर्थात करीब डेढ़ माह तक चलता है। बड़ी संख्या में जलाई जाने वाली पराली के चलते इसका धुआं राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में बड़े पैमाने पर छा जाता है और हवा को काला करता है। पराली जलाने की घटनाएं रोकने के लिए पिछले कुछ वर्षों से तमाम प्रयास किए जा रहे हैं। पहले की तुलना में इनमें कमी आई भी है, लेकिन अभी लंबा सफर तय करना शेष है। इसी क्रम में सीएक्यूएम ने दिल्ली के 300 किलोमीटर के दायरे में मौजूद सभी थर्मल पावर प्लांटों को पांच से दस प्रतिशत तक ईंधन के तौर पर पराली का प्रयोग करने को निर्देश पुन: जारी किया है। इस दायरे में 11 प्लांट हैं, जो कोयला आधारित हैं।
इनमें से खासतौर पर हरियाणा के तीन और पंजाब के चार प्लांट ऐसे हैं, जहां पर ईंधन रूप में पराली का प्रयोग किए जाने की बहुत ज्यादा जरूरत है। सीएक्यूएम के सदस्य सचिव अरविंद नौटियाल की ओर से इस संबंध में उक्त सभी हितधारकों को पत्र लिखा गया है। इस पत्र में जलाए जाने वाले पराली पैलेट में नमी की मात्रा 14 प्रतिशत से कम होने और इसकी कैलोरिफिक वैल्यू 2800 से 3400 कैलोरी प्रति किग्रा तक रखने के निर्देश भी दिए गए हैं, जबकि थर्मल प्लांटों को इसके लिए पर्याप्त व्यवस्था करने को कहा गया है।