जांजगीर-चांपा। जिला प्रशासन स्वस्थ्य जांजगीर अभियान चला रही है। प्रदेश के आला मत्रियों के जिले में कदम पड़ते ही जिला प्रशासन उनके सामने स्वस्थ्य जांजगीर अभियान का ढिंढोरा पीटकर वाहवाही लूट रही है लेकिन दूसरी ओर जिले के ही सबसे बड़े सरकारी जिला अस्पताल में इस तस्वीर तक को नहीं बदल पा रही जो हर हफ्ते यहां देखी जा सकती है और करीब छह माह से यही स्थिति है। बात जिला अस्पताल में सोनोग्राफी जांच सुविधा की हो रही है जहां हर हफ्ते गर्भवती महिलाओं से लेकर जांच कराने पहुंचे अन्य मरीज घंटों तक हलाकान होते हैं। गर्भवती महिलाएं भूखे-प्यासी तड़पती रहती हैं। क्योंकि जिला अस्पताल में रेडियोलॉजिस्ट का पद खाली है और जिम्मेदार रेडियोलॉजिस्ट नहीं ढूंढ पा रहे।
एक हफ्ते बाद की मिलती है तारीख
स्थिति ऐसी है कि जिला अस्पताल में बाकी दिन सोनोग्राफी कराने के लिए अगर मरीज, महिलाएं पहुंचती है तो उन्हें एक ही जवाब मिलता है कि सोनोग्राफी कराना है तो बुधवार को आओ। जिला अस्पताल में गर्भवती महिलाओं को सोनोग्राफी की सुविधा मुफ्त में दी जाती है। जबकि निजी सेंटरों में सोनोग्राफी कराने पर 1000 से 1200 रुपए तक फीस हैं। ऐसे में हफ्ते में एक दिन ही जांच की सुविधा मिलने के बावजूद जरूरतमंद महिलाएं जिला अस्पताल तक आती हैं और घंटों तक परेशानी भी झेलती है ताकि जांच तो हो जाए।
व्यवस्था के नाम पर हफ्ते में मात्र एक दिन बुधवार को ही सोनोग्राफी हो रही है। इसके लिए दूसरे ब्लॉक से हर बुधवार को एक डॉक्टर यहां आते हैं तब जाकर सोनोग्राफी हो रही है। हफ्ते में एक दिन सोनोग्राफी होने
अस्पताल प्रबंधन भी मजबूर
इधर रेडियोलॉजिस्ट नहीं होने से भीड़ इतनी हो जाती है कि सोनोग्राफी के लिए बारी-बारी आते महिलाओं को सुबह से शाम तक हो जाती है। भूखी-प्यासी महिलाएं सोनोग्राफी सेंटर के सामने घंटों तक बैठी रहती हैं।
जरूरतमंद मरीजों को होती है परेशानी
अस्पताल प्रबंधन के लिए यह गंभीर समस्या बन गई है। क्योंकि भर्ती प्रक्रिया शासन-प्रशासन के हाथों में है। ऐसे में किसी तरह हफ्ते में नवागढ़ से डॉक्टर बुलाकर हफ्ते में एक दिन किसी तरह जांच की सुविधा दिलाई जा रही है। इस संबंध में सीएस डॉ. एके जगत के मुताबिक जिला अस्पताल में स्थायी रेडियोलॉजिस्ट नहीं है। सप्ताह में एक दिन बुधवार को बाहर से रेडियोलॉजिस्ट बुलाकर जांच की सुविधा उपलब्ध कराई जा रही है।
गर्भवर्ती महिलाओं के अलावा अन्य कई बीमारियों में भी मरीजों की सोनोग्राफी की जरूरत पड़ती है। ऐसे मरीजों को सबसे ज्यादा परेशानी होती है। उन्हें बाहर से सोनोग्राफी कराकर लाने कहा जाता है या फिर बुधवार तक रुकने की बात कही जाती है। जबकि कई बार मरीजों को तत्काल सोनोग्राफी की जरूरत पड़ती है पर जिला अस्पताल में सोनोग्राफी की सुविधा बाकी दिनों के लिए बंद रहती है।