कोरिया बैकुंठपुर। खडग़वां विकासखंड के बेलबहरा गांव में बच्चे स्कूल जाने के लिये जान जोखिम में डालकर नदी पार करने को मजबूर हैं। ग्राम पंचायत के इन ग्रामीणों की सुनवाई पिछले 2 दशक से भी अधिक समय से नहीं हो पाई है। शिक्षा पाने का अधिकार सभी को है, लेकिन नदी पर पुल नहीं होने की वजह से मिडिल स्कूल में पढऩे वाले बच्चे जल स्तर बढऩे के बाद स्कूल तक नहीं जा पा रहे हैं। यह आलम है मनेन्द्रगढ़ चिरमिरी भरतपुर जिले के ग्राम पंचायत बेलबहरा का। यहां बच्चे स्कूल जाने के लिये जान जोखिम में डालकर नदी पार करने को मजबूर हैं। इन ग्रामीणों की सुनवाई पिछले 2 दशक से भी अधिक समय से नहीं हो पाई है। ऐसा नहीं है कि इस गांव में कोई स्कूल नहीं है यहां स्कूल तो है पर वह प्राथमिक स्तर का है माध्यमिक और उच्चतर माध्यमिक स्तर की पढ़ाई के लिए यहां के बच्चे अन्य ग्राम पंचायत पर आश्रित है। यहां के बच्चों को माध्यमिक स्तर की पढ़ाई के लिए भी दूसरे गांव में जाना पड़ता है। कई बच्चे रोजाना मिडिल स्कूल जाने के लिए नेवरी धार नदी को पार करके ग्राम पंचायत फुनगा के मिडिल स्कूल में जाते हैं। जिला मुख्यालय बैकुंठपुर से करीब 40 किलोमीटर की दूरी पर बेस इस गांव में 250 से अधिक ग्रामीण परिवार निवास करते हैं। मगर बच्चों की बेहतर शिक्षा सहित लोगों को रोजगार जैसी समस्या इस गांव में अपना घर कर चुकी है। अब इस गांव के बच्चे स्कूल जाने के लिए जान जोखिम में डालकर नेवरी धार नदी के एक छोर से दूसरे छोर की तरफ जाते हैं। लेकिन कभी-कभी नदी पार करते वक्त दुर्घटनाएं भी होती हैं। इस नदी पर पुल निर्माण करने की लंबे समय से ग्रामीणों की मांग है। ऐसा नहीं कि इन बच्चों के पंचायत में स्कूल नहीं है, लेकिन जो स्कूल है वो प्राथमिक स्तर का है मिडिल स्कूल उनके गांव से करीब 5 किलोमीटर दूर ग्राम पंचायत फुनगा में स्थित है जहां तक पहुंचने के लिए इनके पास कोई साधन नहीं है। लिहाजा ये बगल की पंचायत में बने स्कूल में पढऩे जाते हैं, लेकिन इस बीच उन्हें नेवरी धार नदी को रोजाना पार करना पड़ता है। तस्वीरें जिले के दूरस्थ गांव बेलबहरा स्थित नेवरी धार नदी की है जहां बेलबहरा गांव के कई बच्चे रोजाना जान जोखिम में डालकर मिडिल स्कूल में पढऩे फुनगा पंचायत के स्कूल में जाकर पढ़ाई करने के लिए विवश हैं। वहीं, इस मामले पर ग्रामीण ऑन से बात करने पर उन्होंने कहा कि ये सही है कि बच्चे मिडिल स्कूल में पढ़ाई करने के लिए नेवरी धार नदी पार कर स्कूल आते जाते हैं। मामले को लेकर कई बार जनप्रतिनिधियों और अधिकारियों से गुहार लगा चुके हैं पर अब तक इस मामले में कोई सुनवाई नहीं हुई। अब देखना ये है कि जान जोखिम में डालकर स्कूल जाने वाले छात्रों के कठिन रास्ते को सुगम बनाने के लिए नेवरी धार नदी पर प्रशासन कब तक पुल का निर्माण करवाता है ताकि इन नौनिहालों के लिए सुरक्षित रास्ते का इंतजाम हो सके और इनके अभिभावक स्कूल भेजने के बाद बेफ्रिक होकर रह सके।