कई प्रकार की चुनौतियों का करना पड़ रहा सामना
कोरबा। साउथ ईस्टर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड की जिले में संचालित खदानों से कंपनी के साथ-साथ प्रदेश और देश को भारी-भरकम राजस्व प्राप्त हो रहा है। इसके साथ ही सामाजिक उत्तरदायित्व से जुड़े हुए कार्यों की पूर्ति भी हो रही है और कुल मिलाकर नागरिकों व क्षेत्र को लाभ मिल रहा है। वित्त वर्ष 2023-24 की समाप्ति से पहले एसईसीएल ने अकेले कुसमुंडा क्षेत्र से 2 लाख टन कोयला के डीओ को आक्शन किया है। परिवहन की प्रक्रिया के साथ सडक़ों पर वाहनों के दबाव ने हर किसी की मुश्किलें बढ़ा दी है।
दुनिया की सबसे बड़ी खदान कोरबा जिले में ही मौजूद है और वह अपने यहां से निकलने वाले कोयला का परिवहन मूल रूप से रेलमार्ग के जरिए कर रही है। एसईसीएल ने कुसमुंडा को मेगा प्रोजेक्ट बनाना न केवल घोषित किया है बल्कि इस तरफ तेजी से काम जारी है। विस्तारीकरण के अंतर्गत सैकड़ों हेक्टेयर जमीन लेने की प्रक्रिया हो चुकी है और मौके से कोयला का दोहन जारी है। सूत्रों ने बताया कि एसईसीएल कुसमुंडा के द्वारा हाल में ही रोड सेल के अंतर्गत प्रदाय किये जाने वाले कोयला का बड़ा ऑक्शन डीओ होल्डर्स को किया गया है। जानकारी के अनुसार इसकी मात्रा 2 लाख टन के आसपास की है। इतनी बड़ी मात्रा में कोयला का वितरण किये जाने और उसकी पहुंच गंतव्य तक होने के लिए वाहनों का उपयोग किया जा रहा है। अधिकतम 30 टन भार वहन क्षमता वाले इस काम में लगाए जा रहे हैं। इस स्थिति में आसानी से समझा जा सकता है कि शुरुआती मात्रा को आगे भिजवाने के लिए सैकड़ों की संख्या में वाहनों की रेलमपेल रहेगी, जो कि अभी से शुरू हो गई है। पहले से ही समस्याग्रस्त कुसमुंडा-सर्वमंगला फोरलेन पर इन कारणों से दबाव कुछ ज्यादा ही बढ़ गया है। बताया गया कि केवल यही नहीं बल्कि आगामी दिनों में कंपनी को इससे भी पांच गुना ज्यादा कोयला का ऑक्शन करना है और व्यवसायिक जरूरतों को पूरा करना है। चौतरफा हितों को ध्यान में रखने के साथ एसईसीएल अपना काम कर रही है। माना जा रहा है कि कई लाख टन कोयला दूसरी किस्त में इस खदान में छत्तीसगढ़ के अलावा अन्य राज्यों में चल रहे उद्योगों तक पहुंचेगा और उनकी प्रचालन संबंधी जरूरत की पूर्ति करेगा। इस स्थिति में कोयला खदान से लेकर कोरबा जिले की सीमा तक वाहनों का कितना अधिक दबाव होगा, इसका आंकलन आसानी से किया जा सकता है। वर्तमान में कुसमुंडा मार्ग पर वाहनों की आवाजाही के कारण एक बार फिर से पुरानी समस्या के नजारे सामने आ गए हैं।
काम भी हो पर परेशानी से भी बचाएं
सबसे बड़ी बात यह है कि सरकार और कंपनी की प्राथमिकता के अंतर्गत घरेलू व व्यवसायिक उपभोक्ताओं को उनकी जरूरत का कोयला उपलब्ध कराना ही है। नीतिगत रूप से यह मामला सर्वोच्च मायने रखता है। ऐसे में जरूरी हो गया है कि हालात चाहे जैसे हों कोयला कंपनी को अपने काम तमाम परिस्थितियों में पूरे करने होंगे। सडक़ पर चाहे जो कुछ हो, इसकी व्यवस्था संबंधित तंत्र को बनानी होगी। उपर से राज्य सरकार के अधिकारियों का साफ तौर पर कहना है कि सबसे ज्यादा जिम्मेदारी नागरिकों के हितों को लेकर है। इस दौरान ध्यान रखा जाए कि कोयला परिवहन के कारण आम जनता को किसी प्रकार की परेशानी न होने पाए। ऐसे में समझ नहीं आ रहा है कि सडक़ों पर उत्पन्न होने वाली समस्याओं से आखिर कैसे बचा जाए।
फोरलेन का काम अभी भी अधूरा
जनता को हो रही समस्या को देखते हुए पिछले वर्ष साउथ ईस्टर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड के द्वारा सामाजिक उत्तरदायित्व कार्यक्रम के अंतर्गत 200 करोड रुपए की राशि कुसमुंडा सर्वमङ्गला तरदा तक फोरलेन सडक़ बनाने के लिए जारी की गई। महाराष्ट्र के नागपुर शहर की एसएमएस कंपनी को यह काम दिया। काफी समय तक विवादों के बीच काम चलने से कई प्रकार की दिक्कत आई। लंबा समय बीतने के बाद भी यह रास्ता पूरा नहीं हो सका है। इमली छापर से सर्वमंगल नगर के रास्ते में कई जगह पेंच बचे हुए हैं, जो आवागमन के दौरान लोगों को मुश्किल में डालते हैं