
जांजगीर चांपा। भगवान जगन्नाथ जी का भव्य रथयात्रा 7 जुलाई को जांजगीर नैला में निकाली जाएगी। जांजगीर में वृंदावन भक्ति कुटीर के द्वारा यह रथयात्रा केरा रोड स्थित मां संतोषी मंदिर से निकल जाएगी। वैसे तो पूरे देश में जगन्नाथ स्वामी जी का यह रथयात्रा का महोत्सव धूमधाम से मनाया जाता है,परंतु कुछ वर्षों से जांजगीर नैला शहर में रथ यात्रा के समय भगवान जगन्नाथ जी की रथयात्रा निकालने की धूम रहती है जिसमें शहर के युवा वर्ग के अलावा बच्चे,बूढ़े एवं महिलाएं सभी उत्साह पूर्वक शामिल होते हैं। यह भव्य रथयात्रा केरा रोड स्थित मां संतोषी मंदिर से निकलकर जांजगीर के अग्रसेन भवन तक जाएगी जो शाम 3 बजे से प्रारंभ होकर शाम 7 बजे इसका समापन होगा । इस अवसर पर भव्य कीर्तन मंडलियों द्वारा कीर्तन गान करते हुए, करमा नृत्य सहित अन्य वाद्य यंत्रों के द्वारा रथयात्रा निकाली जाएगी। वहीं छप्पन भोग, महाआरती के द्वारा लोग भगवान के स्तुति करते जाएंगे । 56 भोग भगवान श्री जगन्नाथ जी को लगाया जाएगा इसके अलावा लोगों के लिए महाप्रसाद की व्यवस्था की गई है। इस अवसर पर जगह-जगह महाआरती किए जाने की तैयारी की जा रही है।
ज्ञात हो कि स्वामी जगन्नाथ जी के इस महापर्व में लोगों में एक अलग उत्साह दिखाई देता है जो धार्मिक परिवेश में इस कार्यक्रम में शिरकत करते जिसके कारण कार्यक्रम में विशेष भव्यता होती है।7 जुलाई को कीर्तन, विशेष रथ, छप्पन भोग के साथ महाप्रसाद वितरण का कार्यक्रम होगा। रथयात्रा जो कचहरी चौक, मेन रोड, नेताजी चौक, होते हुए स्टेशन रोड मे अग्रसेन भवन तक जाएगी। अग्रसेन भवन में शाम 7 बजे रथयात्रा का स्वागत किया जाएगा। इसके बाद छप्पन भोग महाआरती की जाएगी और उपस्थित श्रद्धालुओं को महाप्रसाद का वितरण किया जाएगा।
दिया जा रहा है काढ़े का प्रसाद
मान्यता है कि 15 दिन तक भगवान जगन्नाथ इन दिनों अपने भाई बलराम और बहन सुभद्रा के साथ अपने मौसी के घर स्वास्थ्य लाभ लेते हैं। भगवान की सेवा इन दिनो उन्हें काढ़ा का भोग लगाया जाता है। साथ ही इस काढ़े का प्रसाद वितरण भी किया जा रहा है। जो आषाढ़ शुक्ल द्वितीया को दर्शन देने अपने मंदिर से बाहर आते है।
शिवरीनारायण, नवागढ़ ,नरियरा चांपा में भी निकल जाती है भव्य रथ यात्रा
जिले के प्रमुख स्थान नवागढ, शिवरीनारायण, नरियरा, चांपा सहित कई स्थानों पर रथयात्रा पर भगवान जगन्नाथ जी की रथयात्रा निकाली जाती है। जहां का माहौल मड़ाई मेला जैसा होता है जिसे देखने के लिए दूर-दूर से लोग ग्रामीण क्षेत्र से पधारते है।
मालपुआ का होता है विशेष महत्व
इस दिन मिठाई के रूप में जगह-जगह मालपुआ बनाया जाता है एवं लोक अन्य मिठाई की बजाय बजे मालपुआ को घर बतौर प्रसाद के रूप में घर ले जाते है और मालपुआ को आपस में प्रसाद के रूप में मिल बांट कर खाते है।