
प्रतापपुर। सूरजपुर जिले के ग्राम केरता स्थित मां महामाया सहकारी शक्कर कारखाना में पेराई सत्र 2020-21 में 12 करोड़ 38 लाख के शक्कर घोटाले में कार्रवाई के लिए कोर्ट के आदेश की प्रतीक्षा है। शासन स्तर से हुई जांच में आरोप प्रमाणित पाया गया है।शक्कर स्टाक में कमी की जांच उपरांत कारखाने के तत्कालीन प्रबंध संचालक एवं महाप्रबंधक (प्रशासन) के विरूद्ध विभागीय जांच शासन स्तर पर चल रही है। छत्तीसगढ़ सहकारी सोसायटी अधिनियम के तहत तत्कालीन प्रबंध संचालक एवं 17 अन्य कर्मचारियों के विरूद्ध न्यायालय संयुक्त आयुक्त सहकारिता बिलासपुर संभाग बिलासपुर में प्रकरण विचाराधीन है। न्यायालय में प्रकरण विचाराधीन होने के कारण स्थानीय स्तर पर किसी प्रकार की कोई कार्रवाई संस्थित नहीं की जा सकती है। पूर्ववर्ती कांग्रेस शासनकाल में मां महामाया सहकारी शक्कर कारखाना में पेराई सत्र 2020-21 में शक्कर की कमी की शिकायत संज्ञान में आने पर तत्कालीन अपर पंजीयक सहकारिता की अध्यक्षता में चार सदस्यीय जांच टीम द्वारा 15 से 17 जून 2021 तक शक्कर कारखाने में शिकायत की जांच की गई थी। जांच रिपोर्ट दो सितंबर 2021 को शासन को प्रस्तुत किया जा चुका है। भौतिक सत्यापन में दस्तावेजों के आधार पर रिकार्डेड शक्कर की मात्रा में 1165.60 मीट्रिक टन की कमी पाई गई। कारखाना प्रबंधन द्वारा शक्कर का भण्डारण विज्ञानी एवं गणना किए जाने योग्य ढंग से नहीं किया गया था। भौतिक सत्यापन में मोलसिस 1641.224 मीट्रिक टन अधिक पाई गई थी।भौतिक सत्यापन में मोलासिस की स्टाक पंजी में दर्ज मात्रा से अधिक गोलासिस पाए जाने पर जांच टीम ने यह माना ग कि जब सह-उत्पाद का अधिक उत्पादन हुआ है तो स्वाभाविक है कि मूल उत्पाद शक्कर का भी उत्पादन उसके निर्धारित अनुपात में हुआ होगा।