– कृष्ण विभूति तिवारी –
सरगुजा संभाग। छत्तीसगढ़ में बाल विवाह के मामले 5 साल में करीब 9 प्रतिशत तक घटे हैं। वहीं, सूरजपुर जिले में बाल विवाह के बढ़ते मामले चिंताजनक हैं। देवउठनी एकादशी से शहनाइयों की गूंज शुरू हो गई है। ऐसे में बाल विवाह रोकने प्रशासन भी मुस्तैद है। माना जा रहा है कि सूरजपुर जिले में करीब 50 हजार से अधिक ऐसे बच्चे हैं, जो बाल विवाह के खतरे में है। बाल विवाह रोकने के लिए विभागीय अफसरों ने ग्राम पंचायत के सरपंच व सचिव की बैठक लेकर लोगों को जागरूक करने कहा है, इसके साथ ही उडऩदस्ता दल बनाए गए हैं।
सूरजपुर जिले में बाल विवाह का प्रतिशत 34.3 से बढक़र 34.28 पहुंच गया है। यानी जिले में 100 में 34 किशोरियों की शादी 18 साल से पहले की जा रही है। हालात यह है कि सूरजपुर में सालभर में 65 से ज्यादा बाल विवाह विभागीय अधिकारियों व पुलिस की समझाइश के बाद रुकवाए गए हैं। जबकि कानून बाल विवाह कराने वाले माता-पिता सहित अन्य लोगों पर कार्रवाई कर 2 वर्ष की सजा व एक लाख रुपए जुर्माना का प्रावधान है। नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे की पांचवीं रिपोर्ट के अनुसार छत्तीसगढ़ में 2015-16 सर्वे रिपोर्ट में बाल विवाह का आंकड़ा 21.3 फीसदी था, जो अब घटकर 12.1 प्रतिशत पर आ गया है। यानी पांच साल में 9.2 प्रतिशत बाल विवाह कम तो हुए, लेकिन पूरी तरह रोक नहीं लग पाई। सर्वे रिपोर्ट के अनुसार सबसे ज्यादा बाल-विवाह सरगुजा संभाग में हो रहे हैं। सूरजपुर के बाद बलरामपुर में 24.60प्रतिशत, कोरिया में 22.89प्रतिशत, जशपुर में 21.90प्रतिशत और सरगुजा में 18.70प्रतिशत बाल विवाह हुए हैं। बाल विवाह शहरों की तुलना में ग्रामीण इलाकों में ज्यादा है। बाल विवाह से सूरजपुर में 4.5प्रतिशत किशोरियां 15-19 की उम्र में ही मां बन गईं।
2.58 लाख अशिक्षित, सामाजिक बुराई पर यह बड़ा प्रभाव
सूरजपुर जिले की जनसंख्या 7 लाख 89 हजार 43 है। इसमें 9 प्रतिशत यानी 71 हजार 536 आबादी शहरी क्षेत्र में रहती है। इनमें 2 लाख 58 हजार 325 अशिक्षित हैं, यानी साक्षरता दर 60.95 प्रतिशत है। इसका बड़ा प्रभाव बाल विवाह जैसी सामाजिक कुरीति पर पड़ रहा है।
ऐसा इसलिए क्योंकि केरल जैसा शिक्षित राज्य भी है, जहां एक भी बालिका की शादी 18 साल से पहले नहीं होती। सूरजपुर में अनुसूचित जाति में 42 हजार 830 व अनुसूचित जनजाति में 3 लाख 59 हजार 672 शामिल है। इनमें करीब 3 लाख 30 हजार आबादी ग्रामीण क्षेत्रों में रहती है यानी इनमें करीब एक लाख बच्चे शामिल हैं, जिनकी उम्र 18 साल से कम है। वहीं, 50 हजार से अधिक बच्चे बाल विवाह के खतरे में हैं।
बाल विवाह रुकवाना भी कठिन, 3 दिन में 30 विवाह रोका
सूरजपुर जिले में फरवरी 2024 में 3 दिन में 30 विवाह रुकवाया गया है। बाल संरक्षण इकाई और पुलिस की संयुक्त टीम ने बाल विवाह को रोका। इसमें प्रतापपुर, ओडग़ी के चांदनी बिहारपुर, भैयाथान, रामानुजनगर और प्रेमनगर में बाल विवाह रोके गए थे।
तीन नाबालिग बेटियों का रुका बाल विवाह
मई 2024 में ग्राम पंचायत जोबगा, ग्राम लक्ष्मीपुर में 3 नाबालिग बेटियों की शादी को रोका गया था। बालिका के विवाह करने के लिए मंडप लगे थे, बारात आने वाली थी। सूचना पर तत्काल जिला बाल संरक्षण अधिकारी, नायब तहसीलदार समेत टीम ने मौके पर पहुंचकर बाल विवाह रुकवाया।
इन जिलों में हो रहे सबसे ज्यादा बाल विवाह
प्रदेश में सबसे अधिक बाल विवाह वाले जिलों में सूरजपुर, बलरामपुर, कोरिया, जशपुर, सरगुजा, मुंगेली, बीजारापुर, सुकमा, कबीरधाम, बेमेतरा, बस्तर और दंतेवाड़ा शामिल है। बाल विवाह कराने वालों की सूचना पुलिस, बाल विवाह निषेध अधिकारी, प्रथम श्रेणी न्यायिक मजिस्ट्रेट और जिला मजिस्ट्रेट को दे सकते हैं।
इस साल 65 बाल विवाह रुकवाए
इस साल जिले में करीब 65 बाल विवाह रुकवाए गए हैं। सूचना पर टीम बाल-विवाह रोकने जाती है। परिवार के लोगों को समझाते हैं। कई बार विवाह रुकवाने में पुलिस की मदद भी लेते हैं। बाल-विवाह करने के बाद सूचना मिलने पर पुलिस केस होता है। मनोज जायसवाल, जिला बाल संरक्षण अधिकारी, सूरजपुर
सरपंच व सचिव की ले रहे मदद- डीपीओ
बाल विवाह रोकने के लिए ग्राम पंचायतों के सरपंच व सचिव की बैठक लेकर लोगों को जागरूक करने कहा गया है। इसके साथ ही उडऩदस्ता दल बनाकर व अभियान चलाकर कार्रवाई करेंगे।
रमेश साहू, जिला महिला बाल विकास अधिकारी
लडक़े-लडक़ी की मानसिक स्थिति पर पड़ता है प्रभाव
स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ. स्वाति बंसरिया ने कहा कि कम उम्र में वैवाहिक जीवन में बंधने से लडक़े और लडक़ी की मानसिक स्थिति पर प्रभाव पड़ता है। लडक़ी के स्वास्थ्य पर भी इसका बुरा प्रभाव पड़ता है और कई दफा यह परिवार वालों की छोटी सी भूल की सजा लड़कियों को अपनी जान गंवा कर चुकानी पड़ती है।