
सीधी उंगली से काम नहीं, सैकड़ो मामले लोक अदालत में
कोरबा। लोगों की मूलभूत आवश्यकताओं में बिजली का अपना विशेष महत्व है। इसके बिना छोटे बड़े कामकाज अटक जाते हैं और लोगों को परेशान होना पड़ता है। बिजली का उपयोग करने वाले वर्ग से कंपनी उम्मीद रखती है कि वह समय पर बिल का भुगतान करें। कोरबा जिले की बात छोडि़ए अकेले शहर संभाग में ही उपभोक्ताओं पर 127 करोड़ यानी सवा अरब की राशि बकाया है। लगातार अनदेखी करने के मामले में विद्युत कंपनी ने डिस्कनेक्शन का अभियान जारी रखा है।
छत्तीसगढ़ राज्य गठन के 24 वर्षों में कोरबा राजस्व जिले में बिजली वितरण कंपनी के काम का विस्तार हुआ है और घरेलू व व्यावसायिक उपभोक्ताओं की संख्या में काफी बढ़ोतरी हुई है। इतने लोगों को उनकी जरूरत के लिए बिजली उपलब्ध कराने की जिम्मेदारी वितरण कंपनी की है। 3 लाख से अधिक उपभोक्ता कोरबा जिले में मौजूद हैं जो वितरण कंपनी के तीन संभाग के अंतर्गत पंजीकृत हैं। छत्तीसगढ़ राज्य बिजली वितरण कंपनी इतने सारे उपभोक्ताओं से सेवा के बदले अच्छा राजस्व कमा रही है लेकिन उसके सामने बकाया वसूलने की बड़ी चुनौती है जो समय के साथ और बढ़ती जा रही है। बिजली वितरण कंपनी नगर संभाग के कार्यपालन अभियंता एन एल पटेल ने बताया कि इस इलाके में 72000 से ज्यादा उपभोक्ता है। वर्तमान में एक अरब 27 करोड़ रुपए का बकाया शहरी क्षेत्र में है।
उपभोक्ताओं की एक बड़ी संख्या ऐसी है जो समय पर अपने द्वारा उपयोग की जाने वाली बिजली का भुगतान करने के मामले में बेहद गंभीर है। जबकि अलग-अलग श्रेणी के सैकड़ो उपभोक्ता ऐसे भी हैं जो भुगतान के मामले में कुल मिलाकर लापरवाह बने हुए हैं। अकेले 200 उपभोक्ताओं पर ही 2 करोड़ 93 लख रुपए का भुगतान बकाया है। 13 जुलाई को आयोजित लोक अदालत में उनके मामले हमने भेजे हैं।
कार्यपालन अभियंता ने बताया कि बिजली बिल का भुगतान करने के मामले में अनदेखी करने वालों से निपटने के लिए विभाग तैयार है और लगातार डिस्कनेक्शन की कार्रवाई ऐसे मामलों में की जा रही है। कंपनी चाहती है कि उपभोक्ता समय पर भुगतान करने की मानसिकता बनाये ताकि वह अनावश्यक परेशानी से बच सके।
कोरबा जिले के साथ-साथ विभिन्न क्षेत्रों में सीएसईबी के सामने बकाया बिजली बिल की वसूली करना अपने आप में गंभीर समस्या बनी हुई है। दूसरी और सबस्टेशन को संचालित करने के लिए आउटसोर्सिंग पर रखे गए कर्मचारी के वेतन और भत्ते समय पर नहीं देने को लेकर टकराव बना हुआ है। बिजली कंपनी ने छत्तीसगढ़ में अनेक स्थानों पर इस व्यवस्था को महाराष्ट्र की जेबीएस कंपनी को दे रखा है और उसकी गलत नीतियों के कारण बिजली कंपनी के अधिकारी के साथ-साथ उपभोक्ता परेशान है