जांजगीर-चांपा। जिला मुख्यालय के खोखरा रोड स्थित शांतिनगर में कचरे का अंबार लगा हुआ है। कचरे का निपटारा लेजर पद्धति से किया जाना था। इसके लिए अंबिकापुर की सर्वे टीम ने मौके का मुआयना करके रिपोर्ट उच्चाधिकारियों को भेज चुकी है। इसके बावजूद आज तक इस योजना का अता पता नहीं है।
गौरतलब है क जिला मुख्यालय के अंतिम छोर में बसे मोहल्ला शांतिनगर में शहर से निकलने वाले कचरों को डंप कर दिया जा रहा है। खास बात यह है कि इस कचरे का समुचित निपटारा एवं खाद बनाने को लेकर अंबिकापुर भी सर्वे टीम आई थी, लेकिन योजना का अता पता नहीं है। कचरे के साथ साथ मवेशी एवं अन्य जीव कचरो को खाने के बाद आसपास सडक पर ही बिखेर रहे है। जिसके चलते इस मार्ग से होकर खोखरा
अटल कालोनी सहित महाविघालय आने जाने वाले को हो रही है। इन समस्याओ को लेकर जिम्मेदार पालिका प्रशासन के अफसरो को किसी तरह का कोई सरोकार तक नही है। जांजगीर शहर 25 वार्डों में बंटा हुआ है। वही 2011 के सामाजिक आर्थिक सर्वे के अनुसार शहर की आबादी 48 हजार से भी अधिक है। शहर के घरो से निकले कचरे को खोखरा के मंडी चौक में जाकर डंप कर दिया जा रहा है। ऐसे मे आसपास रहने वाले लोगो कचरे की दुर्गंध से दिक्कते हो रही है। इसके अलावा घरो से निकले सूखे एवं गिले कचरो को अलग अलग करके उसे रिसाइकल करके खाद बनाया जाना है। ताकि कचरो का उपयोग खाद के रूप में किया जाए। लेकिन शहर के सहीत खोखरा,धाराशिव, भडेसर, मेहंदा, कुथुर सहीत अन्य गांव जाने आने वालो को काफी परेशानी उठानी पड रही है। सबसे ज्यादा परेशानी तो शहर के शांतीनगर एवम दीनदयाल नगर को हो रहा है। जहां घरो से निकले कचरो का उपयोग नहीं हो पा रहा है। वही कचरा को खोखरा रोड में डंप कर दिया जा रहा है। जिसके चलते लोगो की दिक्कते बढ़ गई है। जिम्मेदार पालिका प्रशासन के अफसर एवं शहर के जन प्रतिनिधियो को लोगो की इस समस्या को लेकर कोई सरोकार तक नहीं है।
यह कचरा पूरे शहर के 25 वार्डो का है परंतु यहां पर संचालित कृषि उपज मंडी कार्यालय,श्रम विभाग का कार्यालय, छात्रावास एवं फेडरेशन का कार्यालय संचालित है इसके बावजूद भी जिम्मेदार लोग इस तरफ ध्यान नहीं दे रहे हैं इससे लोगों का जीना दुभर हो गया है । यह इस क्षेत्र बीमारी का गढ़ हो गया है शांति नगर के लोग बहुत अधिक परेशान हैं जहा कचरे की दुर्गंध से लगातार बीमार के शिकार हो रहे हैं।