बलरामपुर। बलरामपुर जिले के राजपुर व सरगुजा जिले के धौरपुर वन परिक्षेत्र में जान- माल का नुकसान पहुंचाने के बाद 27 हाथियों का दल अंबिकापुर शहर के नजदीक बांकी डैम से लगे गंझाडांड में पहुंच गया है। यहां से शहर की दूरी लगभग 10 किलोमीटर की है। यह हाथियों का पसंदीदा स्थल है। यहां से चेन्द्रा जंगल,रनघाघ नर्सरी व झरना भी लगा हुआ है। भोजन,पानी की व्यवस्था हो जाने से जंगली हाथी कुछ दिनों तक यहीं रूक भी सकते हैं। रनघाघ,चेन्द्रा तक आने वाले जंगली हाथियों का दल शहर के महामाया पहाड़ से लगे बधियाचुआं बस्ती तक आ जाते है। ऐसे में वन विभाग को सतर्क रहने की आवश्यकता है।
अन्यथा थोड़ी सी लापरवाही भारी पड़ सकती है। पूर्व के वर्षों में भी देखा गया है कि जंगली हाथियों का दल शहरी क्षेत्र में आ जाता है और वन कर्मचारियों को इसकी भनक तक नहीं लगती है। वर्तमान में हाथी जिस स्थान पर है उसी से लगा हुआ ग्राम पंचायत खैरबार भी है। खैरबार की बसाहट आमईहापारा भी नजदीक में ही है। 27 जंगली हाथियों के आ जाने के कारण आसपास के गांव में लोग भयभीत है। मालूम हो कि हाथियों का यह दल लगभग एक महीने तक राजपुर वन परिक्षेत्र में विचरण कर रहा था। कुछ दिन पहले हाथियों का यही दल अंबिकापुर रामानुजगंज राष्ट्रीय राजमार्ग पर भी आ गया था।इस कारण रात में कई घंटे तक राष्ट्रीय राजमार्ग पर आवागमन भी बाधित हुआ था।यहां से जंगली हाथियों का दल बीते 24 दिसंबर को धौरपुर वन परिक्षेत्र में प्रवेश किया था।धौरपुर के डंडगांव जंगल में कई दिनों तक रहने के बाद जंगली हाथियों का यह दल शुक्रवार की सुबह ही चेन्द्रा रनघाघ पहुंचा था। शाम को हाथियों का यह दल बाकी डैम के नजदीक पहुंच गया।वन परिक्षेत्र अधिकारी आकांक्षा लकड़ा ने बताया कि ग्रामीणों द्वारा शोर मचाए जाने के कारण हाथी आगे नहीं बढ़ पा रहे हैं।प्रयास किया जा रहा है कि हाथी जंगल के रास्ते सुरक्षित तरीके से आगे बढ़ जाएं। बांकी डैम,चेन्द्रा,रनघाघ में पहली बार जंगली हाथियों का दल नहीं आया है। इसके पहले भी जंगली हाथियों का दल इस क्षेत्र में आता रहा है।पूर्व में इस क्षेत्र में पहुंचे हाथियों के दल अंबिकापुर- सीतापुर राष्ट्रीय राजमार्ग को चेन्द्रा के पास पर कर पायल पहाड़ होते हुए दरिमा वन परिक्षेत्र की ओर बढ़ जाता था। यहां से या तो मैनपाट या फिर लखनपुर वन परिक्षेत्र में प्रवेश कर हाथी आगे बढ़ते हैं। बताया जा रहा है कि जंगली हाथियों का यह दल खरीफ सीजन आरंभ होने के साथ तमोर पिंगला अभयारण क्षेत्र से निकला था। यदि अभयारण क्षेत्र जाना हुआ तो हाथी वापस लौट सकते हैं।वापसी में अंबिकापुर-रामानुजगंज राष्ट्रीय राजमार्ग को पार कर प्रतापपुर वन परिक्षेत्र से होते हुए यह दल वापस लौटेगा। बहरहाल हाथी किस आगे बढ़ेंगे, इसे लेकर वन विभाग सतर्क है। वर्तमान में हाथी जिस क्षेत्र में विचरण कर रहे हैं वह अंबिकापुर शहर के नजदीक के पिकनिक स्पॉट है। बांकी डैम के अलावा रनघाघ चेन्द्रा में साल के अंतिम दिनों में बड़ी संख्या में लोग पिकनिक मनाने पहुंचते हैं। ऐसे में लोगों को सतर्क रहने की जरूरत है। सुंदर झरना होने के कारण लोग चेन्द्रा में पिकनिक मनाना पसंद करते हैं। घना जंगल होने के कारण हाथियों की उपस्थिति का सही पता भी नहीं चलता इसलिए इन दोनों स्थानों पर वर्तमान में पिकनिक मनाने जाना भी खतरनाक हो सकता है। हालांकि वन विभाग के मैदानी कर्मचारी हाथियों पर निगरानी रख रहे हैं लेकिन 27 हाथियों के दल में से किसी भी हाथी पर कालर आइडी नहीं लगा है इसलिए उनका सही लोकेशन का पता नहीं चल पाता है। छत्तीसगढ़ और झारखंड की सीमा पर भी सात हाथियों का एक दल विचरण कर रहा है। इसी दल में शामिल एक हाथी अक्सर कनहर नदी को पार कर छत्तीसगढ़ में आ जाता है। गुरुवार की रात दल से बिछड़ हाथी सीधे रामचंद्रपुर क्षेत्र के उच्चारवा गांव पहुंच गया। यहां सात घरों को हाथी ने क्षतिग्रस्त कर दिया। घर में रखे अनाज खाने के साथ ही बर्तनों को भी क्षतिग्रस्त कर दिया। सारी रात बस्ती में विचरण करने के बाद सुबह हाथी फिर कनहर नदी को पार कर झारखंड की ओर चला गया है। इस दल के छह हाथी अभी झारखंड में ही विचरण कर रहे हैं। हाथियों के इस दल ने पिछले दिनों झारखंड के रंका क्षेत्र में दो लोगों को कुचलकर भी मार डाला था। हाथियों के इस दल के भी रामचंद्रपुर क्षेत्र में वापस आने की संभावना है। यह दल छत्तीसगढ़ से ही झारखंड की ओर गया है।