पीलीभीत, 0५ अक्टूबर । अस्थि विसर्जन और तर्पण के बाद घर लौट रहे आठ लोगों का अंतिम सफर साबित हुआ। मंगलवार शाम को उन्होंने वाराणसी से स्वजन को फोन कर कुशलता की जानकारी दी। कहा कि भोजन करने के बाद घर के लिए चल देंगे मगर, रास्ते में मौत ने झपट्टा मार दिया। बुधवार तड़के इसकी सूचना गांव पहुंची तो घरों में चीत्कार मच गया। आठ मृतकों में चार एक ही परिवार के सदस्य थे। अन्य मृतकों में मां-बेटा भी शामिल हैं। रुद्रपुर गांव में महेंद्र प्रसाद व उससे सटे मुजफ्फरनगर गांव में उनके छोटे भाई दामोदर का परिवार रहता है।उनके मामा छविनाथ ने बताया कि जून में महेंद्र की मां मिढ़ाना देवी का निधन हुआ था। उनकी इच्छा के अनुसार, बेटों ने तय किया था कि प्रयागराज में विसर्जन करेंगे। इसके लिए श्राद्ध पक्ष तय हुआ। शुक्रवार को महेंद्र व दामोदर ने मझले भाई भगवानदास को बताया कि रविवार को प्रयागराज में अस्थि विसर्जन कर गया (बिहार) में तर्पण करने जाएंगे। रुद्रपुर गांव के विपिन यादव को पिता सत्यपाल की अस्थियां भी विसर्जित करनी हैं, इसलिए वह भी मां गंगा देवी के साथ चलेंगे। भगवानदास ने भाइयों से मजबूरी बताई कि रविवार को जा पाना संभव नहीं है। ऐसे में महेंद्र प्रसाद, उनकी पत्नी चंद्रकली, दामोदर, उनकी पत्नी निर्मला और विपिन मां गंगा देवी के साथ जाने को तैयार हुए। धरमंगदपुर गांव के परिचित राजेंद्र पहले भी गया जा चुके थे, इसलिए उन्हें साथ ले लिया। दामोदर के 11 वर्षीय बेटे शांतिस्वरूप ने जिद की इसलिए उसे भी कार में बैठा लिया गया। रविवार तड़के चालक अमन कश्यप सभी को लेकर गांव से चले थे। प्रयागराज में विसर्जन, गया में तर्पण के बाद दामोदर ने फोन पर बताया था कि अब वाराणसी में बाबा विश्वनाथ के दर्शन करने जा रहे हैं। मंगलवार को वहां पहुंचे तब भी जानकारी दी। शाम सात बजे फिर से फोन आया। कहा कि हम सभी लोग भोजन करने जा रहे हैं। इसके बार घर वापसी के लिए चल पड़ेंगे। उस समय तक सबकुछ ठीक था। सोचा कि बुधवार को सभी घर आ जाएंगे। अचानक सुबह पांच बजे वाराणसी के फूलपुर से सूचना आई कि दुर्घटना में शांति स्वरूप को छोड़ बाकी आठ लोगों की मृत्यु हो गई है। महेंद्र प्रसाद की बड़ी बेटी प्रीति की शादी हो चुकी। दो बेटे अजीत और अमित घर में अकेले थे। बुधवार सुबह मां-पिता की मृत्यु की सूचना पर दोनों बिलख पड़े। गांव के अन्य लोगों ने उन्हें सहारा दिया। दोनों बच्चे नाबालिग हैं। चाचा भगवानदास उन्हें सीने से लगाकर ढांढस बंधाने का प्रयास करते रहे।दामोदर की बेटी रोशनी और शिवम घर पर थे, सबसे छोटा बेटा शांतिस्वरूप साथ में गया था। मां-पिता का साया छिनने की सूचना से रोशनी और शिवम बेसुध हो गए। वे दोनों घायल भाई शांतिस्वरूप के हाल जानने के लिए छटपटाते रहे। इन बच्चों को सहारा देने के लिए मानो पूरा गांव उमड़ पड़ा। बिलखते बच्चों को सहारा देने के लिए जो भी आगे बढ़ता, फफक पड़ता। इसी तरह रुद्रपुर गांव में विपिन यादव के घर में चीत्कार थी। धरमंगदपुर के राजेंद्र और पिपलिया दुलई गांव में चालक अमन कश्यप के स्वजन ने बताया कि वाराणसी पहुंचने के बाद उन लोगों ने भी फोन किया था। बताया था कि रात में मौसम ठीक नहीं होने के कारण रवाना होने में देरी हो रही मगर, बुधवार दोपहर तक पहुंच जाएंगे। दोपहर को प्रशासनिक अधिकारी भी पीडि़त परिवारों को सांत्वना देने पहुंचे। उन्होंने कहा कि वाराणसी के अधिकारी संपर्क में हैं।