जांजगीर-चांपा। कलेक्टर आकाश छिकारा के निर्देशानुसार जिला कार्यक्रम अधिकारी एवं जिला बाल संरक्षण अधिकारी के नेतृत्व में जिला प्रशासन एवं यूनिसेफ कार्यक्रम अंतर्गत जिले में कार्यक्रम चलाया जा रहा है। जिसमें विद्यालय के प्राचार्यों/प्रधान पाठको से बच्चों के सुरक्षा से संबंधित सभी बिन्दुओं पर समीक्षा की गई एवं आवश्यक सुरक्षा के उपाय हेतु संवेदीकरण प्रशिक्षण जिला बाल संरक्षण इकाई के अधिकारी, कर्मचारी द्वारा प्रदान किया गया।
जिला बाल संरक्षण अधिकारी ने बताया कि जिला बाल संरक्षण इकाई के सामाजिक कार्यकर्ता श्रीमती संतोषी वैष्णव, बाह्य पहुंच कार्यकर्ता कुलदीप कुमार चौहान, समन्वयक, चाइल्ड लाइन निर्भय सिंह तथा टीम मेम्बर भूपेश कुमार कश्यप द्वारा जिले के विभिन्न विद्यालयों में कक्षा नवमीं से बारहवीं तक के बच्चों को उनके अधिकारों के प्रभावी संरक्षण हेतु किशोर न्याय अधिनियम (बालकों के देखरेख एवं संरक्षण) अधिनियम 2015 संशोधित अधिनियम 2021 नियम 2016 संशोधित नियम 2022 लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम 2012, शिक्षा का अधिकार अधिनियम 2009 एवं बाल श्रम (प्रतिषेध एवं विनियम) अधिनियम 1986 पर संवेदीकरण प्रशिक्षण के संबंध में जानकारी प्रदान करते हुए बच्चों की पूर्ण सुरक्षा हेतु प्रचार-प्रसार करते हुए विस्तृत जानकारी दी गई। साथ ही प्रशिक्षण में बाल संरक्षण के मुद्दों, बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम 2006, अनैतिक व्यापार पर रोक, चाईल्उ लाईन, जिला बाल संरक्षण इकाई स्पांसरशिप योजना फास्टर केयर योजना आफट्र केयर योजना दत्तक ग्रहण योजना, बाल कल्याण समिति, किशोर न्याय बोर्ड, विशेष किशोर पुलिस इकाई, देखरेख एवं संरक्षण की आवश्यकता वाले बच्चों का चिन्हांकन के संबंध में, किशोर न्याय अधिनियम के तहत पंजीकृत संस्थाओं के संबंध में एवं संस्थागत एवं गैर संस्थागत कार्यों के संबंध में उनके विषय में, दत्तक ग्रहण से संबंध में प्रक्रिया एवं नियम, बच्चों की बली देने पर रोक, नि:शक्त बच्चे, बाल भिक्षावृत्ति, बाल श्रम अधिनियम बच्चों द्वारा नशीली पदार्थाे की खरीदी एवं बिक्री, बालको की तस्करी करना कानूनन अपराध के विषय में विस्तृत जानकारी दी गई एवं उक्त विषय से संबंधित किसी भी प्रकार देखरेख एवं संरक्षण की आवश्यकता वाले 18 वर्ष से कम उम्र के बच्चों के संबंध में जानकारी प्राप्त होने की स्थिति में बाल कल्याण समिति को तत्काल सूचित कर उनके समक्ष उपस्थित कराकर बालकों के संरक्षण एवं पुनर्वास की विषय में जानकारी दी गई।
इस दौरान प्रशिक्षण प्रदान कर गेम के माध्यम से बच्चों द्वारा उनकी प्रतिक्रिया प्राप्त कर प्रोत्साहित किया गया। प्रशिक्षण के अंतिम कड़ी में विद्यालयों के प्राचार्यों द्वारा बच्चों को उनके अधिकार एवं सुरक्षात्मक उपायों से संबंधित जानकारी प्रदान करते हुए प्रेरित किया गया। उक्त प्रशिक्षण में, जिला बाल संरक्षण इकाई के कर्मचारी विद्यालय के प्राचार्य, स्कूल स्टाफ व बच्चें अधिक संख्या में उपस्थित थे।