जांजगीर। शिक्षकों के अभाव में गांव के बच्चों का भविष्य बर्बाद न हो, इसलिए अकलतरा ब्लॉक के आरसमेटा के दो युवा दो साल से शासकीय पूर्व माध्यमिक शाला के बच्चों को निशुल्क शिक्षा दे रहे हैं। गांव के ओमप्रकाश जायसवाल और खुशबू जगत बच्चों का भविष्य गढऩे में लगे हुए हैं।
शासकीय पूर्व माध्यमिक शाला आरसमेटा स्कूल की तीन क्लास में 100 बच्चे शिक्षा लेते हैं। यहां दो ?शिक्षक ही हैं। उनमें एक प्रधानपाठक हैं। वे प्रशासनीक काम से व्यस्त रहते हैं। इससे समय मिलने पर ही क्लास ले पाते थे। ऐसे में एक शिक्षक पर तीन क्लास के छह विषय पढ़ाने की जिम्मेदारी आई। शिक्षक की कमी से गांव के बच्चे गलत राह पर बढऩे लगे थे। यह देख गांव के ही युवा ओमप्रकाश और खुशबू ने स्कूल के बच्चों को पढ़ाने की पेशकश सरपंच से की। सरपंच को लगा कि वे शिक्षा देने के एवज में भुगतान की मांग करेंगे।
इसलिए वे उनकी पेशकश ठुकराते रहे। लेकिन जब दोनों युवाओं ने निशुल्क शिक्षा देने की बात कही तो वे मान गए। ओमप्रकाश रोजाना लेते हैं नौ क्लास ओमप्रकाश के परिवार के पास तीन ट्रक और 35 एकड़ जमीन है। परिवार में अन्य भाइयों का भी सहयोग हैं। उन्होंने बताया कि गांव के स्कूल में शिक्षकों की कमी से माहौल खराब हो रहा था। बच्चों की पढ़ाई प्रभावित न हो, इसलिए उन्होंने स्कूल में मुफ्त में शिक्षा देने का फैसला लिया। अब वे स्कूल में रोजना नौ पीरियड लेकर बच्चों को शिक्षा दे रहे हैं। खुशबू के पिता की मौत साल 2021 में हो गई है।
उसके घर में उसके अलावा एक भाई और मां ही है। भाई ट्रैक्टर चलाता है और वह बच्चों को शिक्षा देने के अलावा खाली समय में कम्प्यूटर और सिलाई का काम कर अपना खर्च चलाती है। आर्थिक रूप से कमजोर होने के बावजूद उसने दो साल मुफ्त शिक्षा देकर दूसरों के सामने मिसाल पेश की है। फिलहाल उसका चयन पुलिस के फिजिकल टेस्ट में हो चुका है। अब वह लिखित परीक्षा की तैयारी में जुटी है। फिर भी समय निकालकर स्कूल में बच्चों को शिक्षा देने में कोई कसर नहीं छोड़ रही है।
खुशबू की आर्थिक स्थिति कमजोर, मुफ्त में पढ़ा रहीं
नियमित शिक्षक की तरह दे रहे सेवाएं ट्टस्कूल में दो ही शिक्षक थे। मेरे पास पढ़ाने के अलावा आधिकारिक काम की जिम्मेदारी थी। ऐसे में स्कूल की शिक्षा व्यवस्था प्रभावित हो रही थी। मैने कई बार अपने अफसरों को पत्र लिखा। इसके अलावा ग्राम पंचायत में स्वयंसेवी युवा की मांग रखी तो उन्हें ओमप्रकाश और खुशबू के नाम मिले। ये दोनों रेग्युलर शिक्षकों की तरह रोजाना बच्चों को शिक्षा दे रहे हैं। जितेंद्र सिंह, प्रधानपाठक, शास पूर्व माध्यमिक शाला आरसमेटा