कोरिया पांडवपारा। कोरिया जिले में शिक्षा प्रणाली में सुधार लाने के लिए केंद्र से लेकर राज्य की सरकारें एड़ी चोटी की जोर लगा रही हैैं। इसके बावजूद एसईसीएल प्रबंधन द्वारा संचालित डीएवी स्कूल की स्थिति दयनीय बनी है। हालात यह है कि विगत चार पांच वर्षो से टपकती छतों के नीचे नौनिहाल अपना भविष्य गढ़ रहे हैं। हालांकि बीते वर्ष भवन के मरम्मत हेतु करोड़ों रुपए की स्वीकृति प्रबंधन द्वारा प्रदान तो कर दी गई लेकिन 40 फीसदी कम दर पर मरम्मत कार्य पाकर ठेकेदार बेधड़क घटिया सामग्री का उपयोग कर गुणवत्ता का बंटाधार कर रहा है जिसके भविष्य को लेकर सवालिया निशान है। एसईसीएल प्रबंधन द्वारा कोयलांचल क्षेत्र में डीएवी पब्लिक स्कूल संचालित है। विगत चार से पांच वर्ष के काफी प्रयास व इंतजार के बाद जर्जर स्कूल भवन के मरम्मत हेतु 1करोड़ 7लाख रुपए की स्वीकृति प्रदान की गई है।ठेकेदार ने 40 फीसदी कम दर पर स्कूल भवन के मरम्मत का ठेका प्राप्त कर लिया परंतु विद्यालय भवन के मरम्मत कार्य में भारी अनियमिताएं बरती जा रही है,बल्कि मनमानी तरीके से बेरोक टोक घटिया सामग्री का उपयोग कर ठेकेदार द्वारा जमकर भ्रष्टाचार किया जा रहा है। जिससे स्कूल भवन के भविष्य को लेकर कई सवाल खड़े हो रहे हैं तो वहीं स्कूल में पढऩे वाले बच्चों की जिंदगी से भी खिलवाड़ किया जा रहा है क्योंकि जिस भवन का मरम्मत किया जा रहा है उसमें इस्तेमाल होने वाला रा-मैटिरियल,सीमेंट,ईंट व लॉकिंग टाइल्स बेहद घटिया किस्म के है और यही भवन आने वाले समय में स्कूल में पढऩे वाले हजारों बच्चों के लिए घातक साबित भी हो सकता है।अभिभावक इसे लेकर काफी चिंतित भी है कि कहीं बीते वर्षों की तरह जर्जर,खस्ताहाल टपकते छत के नीचे ही तो नौनिहालों को पढ़ाई करने की नौबत फिर से तो नहीं आ जाएगी? सवाल यह है कि जब बच्चों को पढ़ाई के लिए स्वच्छ, स्वच्छंद वातावरण ही नहीं मिलेगा तो वह आखिर कैसे पढ़ाई कर सकते हैं? बहरहाल मरम्मत कार्य अपने गति से गतिमान है। अभिभावकों ने स्कूल मरम्मत में इस्तेमाल हो रहे घटिया किस्म की सामग्री के जांच की मांग प्रबंधन से की है। मरम्मत कार्य में घटिया सामग्री का उपयोग नहीं हो रहा है। कल आइए अभिभावकों के बीच सामग्री का जांच करते है। मिथलेश सिन्हा इंजीनियर, सब एरिया झिलमिली पांडवपारा