राज्यपाल शिक्षक अलंकरण से बढ़ाया गौरव
कोरबा। माध्यमिक विद्यालय गोड़मा के प्रधान पाठक पं. शिवराज शर्मा ने कहा है कि सशक्त लोकतंत्र और शिक्षित समाज के लिए सबसे बड़ी आवश्यकता लोगों के शिक्षित होने की है। जहां कहीं इसका पैमाना ऊंचा होगा वहां परिस्थितियां बेहतर होंगी। जबकि अन्य मामलों में आंकलन सहज तरीके से किया जा सकता है। युगों से शिक्षा को लेकर जोर दिया जाता रहा है जो वर्तमान में अलग-अलग स्वरूप में हमारे सामने विद्यमान हैं।
पिछले वर्षों में छत्तीसगढ़ के राज्यपाल के हाथों शिक्षक अलंकरण से सम्मानित हुए शिवराज शर्मा को अध्यापन के मामले में नवाचार और विद्यार्थियों को शिक्षा के नए आयामों से परिचित कराने के लिए जाना जाता है। उन्होंने शिक्षक दिवस पर हुई बातचीत में कहा कि भले ही आज शिक्षा प्राप्ति के सोपान बदले हैं, उनमें आधुनिकता का पुट शामिल हुआ है, कई तरह के प्रयोगों के साथ विद्यार्थियों को शिक्षित किया जा रहा है लेकिन इन सबके मूल में एक बात शामिल है कि व्यक्ति के व्यवहारिक होने के साथ वह इस दिशा में अपने कदम बढ़ाएं। लोक संस्कृति और परंपरा के संवर्धन के लिए पिछले वर्षों से लगातार प्रयासरत शिक्षक शिवराज का कहना है कि शिक्षक की भूमिका विद्यार्थियों को आधारभूत चीजों की जानकारी देने और उन्हें एक कक्षा से दूसरी कक्षा में भेजने तक ही सीमित नहीं होती। अपितु उनके कंधों पर जिम्मेदारी होती है कि वे विद्यार्थियों को देश के लिए निष्ठावान, चरित्रवान और प्रज्ञावान मनुष्य के रूप में तैयार करे। इसलिए पूर्ववर्ती समय में भगवान राम, भगवान कृष्ण ने गुरुकुल की परंपरा का अनुशरण किया और खुद को विद्यार्थी के रूप में प्रस्तुत करते हुए शिक्षा प्राप्त की। पौराणिक ग्रंथों में ऐसे प्रसंग और संदर्भ आए हैं। ये सर्वकालिक स्थापित सत्य है और इनके माध्यम से समाज में यह मान्यता स्थापित हो रही है कि गुरुजनों के गुणों की पूजा हर पीढ़ी करेगी ही। शिवराज ने शिक्षक दिवस के निमित्त यह भी कहा कि कई क्षेत्रों से नकारात्मक तस्वीर भी आती है जिससे शिक्षकों का अवमूल्यन भी हो रहा है। ऐसे में इस बात की भी आवश्यकता है कि जो भी व्यक्ति इस पेशे से जुड़े हुए हैं वे अपने चरित्र और संस्कारजनित मूल्यों की रक्षा करने के बारे में चिंता करें।