
रेलवे स्टेशन में गाड़ी मालिकों की सुविधा का ध्यान नहीं
कोरबा। दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे के कोरबा रेलवे स्टेशन का वाहन पार्किंग समस्याग्रस्त है। घंटे के हिसाब से वाहन रखने के लिए लोग पैसे जरूर दे रहे हैं लेकिन मौके पर न तो शेड है और न ही अन्य सुविधा। ऐसे में सुरक्षा का मसला भगवान भरोसे सिमटकर रह गया है। रेलवे और पार्किंग ठेकेदार इसकी जिम्मेदारी एक-दूसरे पर थोपने पर लगे हैं।
जब से वाहन स्टैंड का संचालन कोरबा के रेलवे स्टेशन में हो रहा है, समस्या तब से ही है। उपर से लोग हैं कि मजबूरी के चक्कर में अपनी गाडिय़ों को इसी हाल पर छोडऩे के लिए लाचार हैं। काफी समय से जरूरत बताई जा रही है कि पार्किंग क्षेत्र में शेड नहीं होने के कारण खासतौर पर बारिश और गर्मी के सीजन में कई प्रकार की परेशानियों से लोगों को दो-चार होना पड़ता है। अधिक तापमान के फेर में गाडिय़ों के डिस्कलर होने की समस्या पेश आती है तो बारिश में ज्यादा समय तक पानी का संपर्क होने के कारण पाट्र्स में जंग लगने की चुनौती। अनेक अवसर पर दुपहिया गाडिय़ों से पेट्रोल चोरी होने के मामले जब बढ़े तो सीसीटीवी लगाने की जरूरत समझी गई और इस पर काम किया गया। ऐसी घटनाएं अब कम हुई हैं लेकिन पार्किंग क्षेत्र में शेड नहीं होने के कारण परेशानी तो है ही। बताया जा रहा है कि कोविड कालखंड के बाद किसी तरह पार्किंग का ठेका संपन्न हो सका लेकिन बाद में घाटे के कारण नए आवंटन में देरी हुई। लंबी प्रतीक्षा के बाद इस काम को कराया जा सका है। इधर लोगों का दबाव है कि अगर अच्छा खासा शुल्क रेलवे कांट्रेक्टर ले रहा है और इस परिसर के जरिए रेल प्रबंधन मोटी कमाई कर रहा है तो क्यूं न लोगों के हित में सुविधा दिए जाने के बारे में विचार होना चाहिए। वैसे भी कोरबा से प्रतिवर्ष 6000 करोड़ का राजस्व रेलवे को मिल रहा है। इतना सबकुछ होने के बाद भी यात्री सुविधाओं का अनदेखी करने का सिलसिला जारी है।