रामपुर। समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता और मुस्लिम चेहरा रहे आजम खान की राजनीति लगातार संकट से जूझ रही है। दो जन्म प्रमाणपत्र मामले में आजम और उनकी पत्नी पुत्र को सात साल की जेल हो जाने के बाद सवाल उठ रहा है कि उनकी राजनीतिक विरासत कौन संभालेगा।राजनीतिक जानकर बताते हैं कि आजम खान और उनकी पत्नी, पुत्र के सजा होने के बाद खान के करीब 45 साल पुराने सियासी भविष्य पर ग्रहण लग चुका है। अभी तक जो नजर आ रहा है उसमें खान परिवार जहां 2024 लोकसभा और 2027 का विधानसभा चुनाव नहीं लड़ सकेगा। उनके बड़े पुत्र अदीब आजम भी सियासत से दूर रहे है। बहू ने भी कभी राजनीति में दखल नहीं दिया है।
रामपुर के राजनीतिक विश्लेषक विपिन शर्मा कहते हैं कि सपा नेता आजम खान का करीब 40 साल से ज्यादा का राजनीतिक भविष्य अब ढल रहा है। वह दस बार विधायक, एक दफा सांसद और एक दफा राज्यसभा सदस्य भी रह चुके हैं। इसके साथ ही चार दफा कैबिनेट मंत्री और एक दफा नेता विरोधी दल भी रह चुके हैं। सपा सरकार में यूपी के मिनी मुख्यमंत्री कहलाए जाने वाले आजम खान सपा सरकार जाने के बाद भाजपा सरकार आने से ही विरोधियों के निशाने पर आ गए थे। लोकसभा चुनाव के दौरान वह कई केसों में घिरते हुए चले गए।
उन्होंने कहा कि आजम अपनी विरासत अपने बेटे अब्दुल्ला आजम को सौंपना चाहते थे लेकिन, बेटे को कम उम्र में चुनाव लड़ाने के चक्कर में दो जन्म प्रमाण पत्र बनवा लिया और पत्नी-बेटे के साथ सात साल की सजा पाकर जेल चले गए। लिहाजा, विरासत कौन संभाले, फिर वही सवाल खड़ा हो गया है। क्योंकि, आजम के बड़े बेटे को ऐसी कोई दिलचस्पी नहीं, बहू को सियासी बागडोर आजम परिवार सौंपना नहीं चाहता। किसी अन्य को आजम ने अपने कार्यकाल में इतना आगे नहीं बढ़ाया कि वह उनका सियासी वारिश बन सके। लिहाजा, फिर कौन यह यक्ष प्रश्न सा है।