वाराणसी, १७ दिसम्बर ।
मुस्लिम बहुल मदनपुरा की घनी बस्ती में बंद पड़े मंदिर की सूचना से सोमवार को पुलिस व प्रशासन हरकत में आ गया। एसीपी प्रभा पाठक ने पुलिस बल के साथ पहुंचकर निरीक्षण किया। मंदिर पर ताला लगा हुआ था जो काफी पुराना था। पुलिस ने ताला खुलवाकर अंदर दाखिल हुई और परिसर को देखा। मौके पर एहतियातन पुलिस व पीएसी के जवान तैनात किए गए हैं। मंदिर मदनपुरा के प्रसिद्ध गोल चबूतरा के सामने स्थित है। स्थानीय लोगों के अनुसार यह मंदिर काफी पुराना है। इसके बंद रहने की अवधि का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता कि 45 वर्षीय स्थानीय व्यक्ति का कहना है कि बचपन से ही मंदिर को देख रहा है। मंदिर पूरब उत्तर और दक्षिण भाग से खुला है। पश्चिम भाग में ताज व्यापारी का सटा मकान है। स्थानीय लोगों के अनुसार दक्षिण भाग की तरफ लगा दरवाजा टूट गया था और अंदर जानवर चले जाते थे। इसके बचाव के लिए किसी दरवाजा लगा दिया। उसमें ताला किसने लगाया यह कोई नहीं बताने को तैयार नहीं था। मंदिर के आसपास पीएसी के पांच जवान व स्थानीय थाने के दो सिपाही लगा दिए गए हैं।
प्रशासन स्थिति पर नजर रखे हुए है। मंदिर का आकार एक शिव मंदिर का है। बाहरी आकार को देखकर इसकी गुंबद की आकृति शिव मंदिर की ही लगती है। कुछ बुजुर्गों का कहना है कि यह एक बंगाली परिवार का मकान था, जिसे बाद में उसने मुस्लिम व्यापारी को बेच दिया। वर्तमान में वहां साड़ी की गद्दी है और कुछ लोग रहते भी हैं। उसी मकान के पूर्वी भाग में यह मंदिर स्थित है।मंदिर का पूर्वी, उत्तरी व दक्षिणी भाग खुला है। पूरब दक्षिण में सडक़ है। दक्षिणी भाग में दरवाजा लगा है जो बंद है। उत्तरी खुले भाग से होकर मकान मं जाने के लिए एक तीन से चार फुट का गलियारा है। यह मकान का मुख्य दरवाजा है। दरवाजे के ऊपर जमाल संस का बोर्ड लगा है। पश्चिमी भाग में मंदिर से सटे मकान का निर्माण किया गया है। मुख्य दरवाजे से गलियारे के उत्तरी ओर पांच खंभे हैं जो गलियारे की सीलिंग के आधार स्तंभ हैं। सीलिंग में बनी गोलाकार फूलों की आकृति उकेरी गई है। खंभों के ऊपरी भाग में भी सीलिंग से लगे भाग में ऐसी की आकृति उकेरी गई है। खंभों के आधार पर भी यही डिजाइन है, जो शिव मंदिर के स्थापत्य कला को दर्शाती है। सनातन रक्षक दल के अध्यक्ष अजय शर्मा का दावा है कि पास में स्थित दंतेश्वर महादेव मंदिर के दक्षिण में सिद्धेश्वर महादेव व सिद्धेश्वर कूप का काशी खण्ड में उल्लेख मिलता है।
यह मंदिर सिद्धेश्वर महादेव का है। यहां स्थित गोल चबूतरा सिद्धेश्वर कूप हुआ करता था।जानकार बताते हैं कि वर्ष 1977 में वाराणसी में दंगा हुआ था। कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए तत्कालीन जिलाधिकारी महेश प्रसाद मदनपुरा पहुंचे थे। उन पर इसी स्थान के पास मौजूद मकान से उन पर गोली चलाई गई थी, जो उनके कान को छूती हुई निकल गई थी। डीएम ने आत्म रक्षार्थ पीएसी के जवान से राइफल लेकर गोली चलाई थी।