
कोरबा। एक हराभरा वृक्ष जितनी उपयोगी होती है उतनी ही सूख वृक्ष ही खतनाक हो जाता है। जैसे ही हल्की हवा चली नहीं सूखे वृक्ष के टहनियां टूटकर नीचे गिरते हैं गनिमत रहती है कि सूखी टहनियां किसी इंसान या मवेशी के उपर नहीं गिरती नहीं तो किसी अनहोनी घटना से इंकार नहीं किया जा सकता है। कुछ ऐसा ही वाक्या कोसाबाड़ी से रिस्दी रोड के किनारे लगे पेड़ पौधों का है। कोसाबाड़ी से लेकर रिस्दी चौक तक लगभग 10 से 15 ऐसे वृक्ष हैं जो पूरे तरह से सूख चुके हैं। आलम यह है कि बारिश का मौसम लगभग आ चुका है। बीते एक सप्ताह पूर्व आई मूसलाधार बारिश व आंधी ने क्षेत्र के हरेभरे वृक्ष तो गिराए साथ ही सूखे वृक्ष भी गिरे। गनिमत रही कि किसी जनहानि नहीं हुई। पीजी कॉलेज के मुख्यद्वार के पास एक पेड़ का आधा डगाल आंधी से टूटकर सडक़ पर आ गिरी थी, घटना का सुखद पहलू यह रहा है कि जिस समय पेड़ गिरी उस समय कॉलेज बंद थी नहीं तो किसी अप्रिय घटना से इनकार नहीं किया जा सकता था। पीजी कॉलेज के ठीक बाजू और सामने दो तीन बड़े बड़े उंचे सूखे पेड़ है जो कभी भी दुर्घटना को आंमत्रित दे सकता है। कॉलेज प्रबंधन भी शायद इस ओर ध्यान नहीं दे रहा है। यदि स्थानीय जनप्रतिनिधि या वनविभाग इस ओर आवश्यक कदम नहीं उठाता है तो निश्चय ही आने वाले बारिश के मौसम में किसी बड़ी दुर्घटना से इनकार नहीं किया जा सकता है।