जांजगीर-चांपा। भीमा तालाब में बोटिंग की सुविधा बंद पड़ी है। लाखों रुपए खर्च कर खरीदे गए मोटर बोट जंग सकते कबाड़ हो रहे हैं। तालाब के पानी का रंग प्रदूषित होकर हरा हो रहा है और पानी से अब लगातार बदबू आने लगी है।
आधे से ज्यादा खंभों के लाइट नहीं जल रहे। यह नजारा शहर के ऐतिहासिक भीमा तालाब का है जिसे संवारने के करोड़ से ज्यादा खर्च हुए हैं। लेकिन आज का नजारा लोगों के आंखों के सामने दिख रहा है उससे स्पष्ट नजर आ रहा है कि संवारने के बाद इसे उजडऩे के लिए जिम्मेदारों ने ही अपने हाल में ही छोड़ दिया है और अपनी आंखें मूंद ली है जिन्हें कोई मतलब नहीं है।
शहर के भीमा तालाब का पानी इस तरह हरे रंगे में नजर आ रहा, बदबू की वजह से निस्तारी भी नहीं हो रहीं। कमीशन खाने के लिए सबसे पहले वोटिंग मशीन की खरीदी की गई वह भी अब शुरुआती समय से ही बंद है। जिले के किसी शहर में मोटर बॉटिंग की शुरुआत होने वाले शहर में जांजगीर-नैला नगर पालिका का नाम था। तामझाम के साथ यहां भीमा तालाब में वोटिंग की सुविधा शुरू की गई थी। इसके लिए दी जेट मोटर बोट समेत पैदल बोट खरीदा गया था। लेकिन मनमाना किराया दर ने बोटिंग की सुविधा से लोगों को दूर कर दिया। कुछ समय के बाद लोग इससे दूर हो गए। लिहाजा बोटिंग बंद हो गई। आज लाखों का जेट मोटर बंद जंग खाते हुए तालाब में पड़ा है।
भीमा तालाब के चारों ओर करीब 20 लाख रुपए खर्च कर रंगीन लाइटें लगाई गई थी। आज इसमें भी कई खंबे के बल्ब खराब होने से लाइटें बंद रहती है। रंगीन नजारा अब गायब हो चुका है। सौंदर्याकरण की रौनकता खोने से अब यहां लोगों का आना भी कम होता जा रहा है। क्योंकि न तो मोटर बोटिंग की सुविधा चालू है और न ही कोई मनोरंजन का सुविधा। इधर विडंबना यह भी है कि करोड़ों खर्च होने के बाद शहर के ऐतिहासिक तालाब की स्थिति बहुत खराब हो गई है, उसके बावजूद जनप्रतिनिधियों को भी इससे कोई सरोकार नजर नहीं आ रहा। पानी से भयंकर दुर्गंध भी आ रहा है। तेल जैसा पानी में घुला हुआ दिख रहा है। लेकिन इसके बाद भी आज तक नगरपालिका को यह नजर नहीं आया। पानी प्रदूषित हो रहा है तो क्यों हो रहा है यह भी जानने कभी कोशिश नहीं की जा रही। बोटिंग शुरू होने पर इस बात का अंदेशा जताया गया था कि पानी प्रदूषित हो सकता है।