
बीजिंग, 0५ जनवरी ।
भारत और चीन के रिश्तों में एक बार फिर खटास आने लगी है। इसका कारण चीन द्वारा यारलुंग त्सांगपो (ब्रह्मपुत्र) नदी पर दुनिया का सबसे बड़ा बांध बनाने की घोषणा करना है। तिब्बत में बनने जा रहे इस हाइड्रोपावर डैम का भारत पर प्रतिकूल असर हो सकता है, जिसको लेकर विदेश मंत्रालय ने चिंता भी जताई है। दरअसल, यारलुंग नदी तिब्बत से होकर चीन से बहती हुई भारत आती है। यहां इसे ब्रह्मपुत्र कहा जाता है। इसके बाद ये अरुणाचल और असम के रास्ते बांग्लादेश में जाती है। चीन तिब्बत से आ रही यारलुंग नदी के निचले हिस्से में अरुणाचल की सीमा के पास ये बांध बना रहा है। सबसे बड़ा डैम होने के चलते इसमें काफी बड़ी मात्रा में पानी स्टोर किया जा सकता है। अब जब डैम बन जाएगा तो नदी के पानी का बहाव कैसा हो ये चीन के हाथ में होगा। कम मात्रा में पानी छोडऩे पर भारत में पानी की कमी होगी और ज्यादा पानी छोडऩे से बाढ़ भी आ सकती है। चीन ने आश्वासन दिया है कि इस परियोजना के लिए दशकों तक अध्ययन किया गया है। उसका कहना है कि इससे किसी को नुकसान नहीं होगा। चीन ने कहा कि इससे केवल साफ ऊर्जा का उत्पादन किया जाना है और निचले क्षेत्रों की सुरक्षा का पूरा ध्यान दिया जाएगा।