कोरबा। छत्तीसगढ़ ही नहीं बल्कि देश के प्रमुख औद्योगिक नगर के रूप में कोरबा की पहचान है, जो मुख्य रूप से कोयला खनन, थर्मल पावर प्लांट्स और अन्य भारी उद्योगों के लिए जाना जाता है। यहाँ वायु प्रदूषण एक गंभीर समस्या बन गई है, जिससे नागरिकों में चिंता बढ़ रही है।
कोरबा में नेशनल थर्मल पावर कॉरपोरेशन की 2600 मेगावाट वाली परियोजना छत्तीसगढ़ राज्य विद्युत उत्पादन कंपनी के 1300 मेगावाट क्षमता के दो बिजली घर , निजी कंपनी हो गए बिजली घर और सार्वजनिक उपक्रम साउथ ईस्टर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड की अनेक कोयला खदानें संचालित हो रही है। बिजली और कोयला से संबंधित नियमित गतिविधियों के कारण जिले के बड़े हिस्से में वायु प्रदूषण की समस्या काफी समय से विद्यमान है जो समय के साथ और बढ़ती जा रही है । बिजली घरों की चिमनियों से निकलने वाले धुएं, फ्लाई ऐश की मात्रा और कोयला परिवहन के कारण उत्पन्न स्थिति समस्या को और ज्यादा बढ़ाने का कारण बनी हुई है। इन उद्योगों से निकलने वाले धुएं, हानिकारक गैसों और धूल कणों के कारण हवा की गुणवत्ता खराब हो रही है, जिससे कई स्वास्थ्य समस्याएं उत्पन्न हो रही हैं, जैसे सांस लेने में दिक्कत, अस्थमा, और अन्य श्वसन रोग। स्वास्थ्य क्षेत्र के विशेषज्ञ बताते हैं कि बीते कुछ दशक में इस तरह की बीमारियों से ग्रसित लोगों की संख्या में आनुपातिक रूप से काफी बढ़ोतरी हुई है और इसमें लगातार इजाफा हो रहा है। लोगों की शिकायत है कि फेफड़ों, आंखों के साथ-साथ नाक और कान से जुड़ी परेशानियों बढ़ती जा रही है। इससे न केवल मानसिक और शारीरिक परेशानी हो रही है बल्कि आर्थिक चुनौतियां भी बढ़ रही है।
समाधान के लिए विकल्प
वायु प्रदूषण की इस बढ़ती समस्या का समाधान खोजने के लिए कई कदम उठाए जा सकते हैं। उद्योगों पर सख्त नियम लागू करना: प्रदूषण मानकों का पालन सुनिश्चित करने के लिए सरकार को सख्त कानून लागू करने की आवश्यकता है। पेड़-पौधे हवा में प्रदूषकों को सोखने में मदद करते हैं, इसलिए नगर में वृक्षारोपण को बढ़ावा देना चाहिए।
नवीकरणीय ऊर्जा पर जोर
कोयले की बजाय सौर और पवन ऊर्जा का उपयोग बढ़ाना चाहिए। इस सिलसिले में जन जागरण से संबंधित कार्य भी हो सकते हैं। जरूरत जताई जा रही है कि अगर जिला प्रशासन उद्योगों के साथ मिलकर समन्वित कार्य योजना बनाता है तो समस्या को हल करना काफी आसान हो सकता है।