मिलर्स की हड़ताल से उठाव शून्य, समस्या बढ़ी
कोरबा। कोरबा जिले में पंजीकृत किसानों से धान की खरीदी का काम 65 उपार्जन केदो में चल रहा है सरकार की व्यवस्था के अंतर्गत किस वर्ष खरीदी व्यवस्था 15 दिन विलंब से शुरू हुई है गुरुवार तक की स्थिति में जिले में 2,46,000 क्विंटल तक थी। संभावना जताई जा रही है कि यह आंकड़ा आज 2.80 लाख क्विंटल के आसपास पहुंच सकता है। दूसरी और नीतिगत कारणों से राइस मिलर्स के हड़ताल पर होने के कारण उठाव रुका हुआ है। समितियां ने चिंता जताई है कि अगर इस तरफ ध्यान नहीं दिया गया तो जाम की स्थिति निर्मित होगी और फिर खरीदी नहीं हो सकेगी ।
3100 रुपए प्रति क्विंटल के दर पर सरकार ने पंजीकृत किसानों को खरीफ सीजन की धान फसल की खरीदी के लिए समर्थन मूल्य जारी किया है। कोरबा जिले में अनाज उत्पादन करने वाले लोगों की व्यवस्था के लिए 65 केंद्र बनाए गए हैं। 14 नवंबर से इन सभी केदो में औपचारिक रूप से धन उपार्जन की प्रक्रिया शुरू की गई है। शुरुआती दौर में कुछ ही केदो में धान की बोहिनी हुई और इसके बाद सभी क्षेत्रों में आवक तेज हुई। 72 हजार हेक्टेयर में इस वर्ष किसानों के द्वारा धान की फसल लगाई गई जिसका रकबा सत्यापन सरकारी टीम के द्वारा किया गया। बताया गया कि इसी हिसाब से धान की खरीदी किए जाने के निर्देश प्रशासन की ओर से दिए गए हैं। समितियां में पारदर्शी व्यवस्था की गई है और अन्य संसाधन मुखिया कराए गए हैं ताकि खरीदी के दौरान किसी प्रकार से विवाद की स्थिति निर्मित ना हो और सवाल भी ना उठे।
तरुण छत्तीसगढ़ को प्राप्त जानकारी में बताया गया है की मौसम साफ होने के साथ-साथ समीकरण अच्छे होने से उपार्जन केद्रों में किसानों के द्वारा धान प्रदाय की जा रही है। समिति स्तर पर प्रतिदिन अधिकतम 2000 क्विंटल धान की खरीदी की लिमिट सरकार ने तय की है और इसके हिसाब से काम किया जा रहा है।
खबर के अनुसार गुरुवार तक कोरबा जिले के सभी उपार्जन केदो में सकल रूप से 2 लाख 46000 क्विंटल था। जिस हिसाब से किसान धान बेचने को लेकर टोकन के आधार पर केंद्रों में पहुंच रहे हैं उससे आज खरीदी का आंकड़ा सभी केंद्रों को मिलाकर 2.80 लाख क्विंटल तक पहुंच सकता है। आंकलन किया जा रहा है कि धीरे-धीरे उपार्जन केदो में उपार्जित मात्रा में बढ़ोतरी होगी। वर्तमान में सबसे बड़ी चुनौती इस बात की है कि आगे का काम कैसे निष्पादित किया जा सके, वह भी सुविधापूर्वक। कारण बताया जा रहा है कि कई प्रकार की अड़ंगेबाजी के चक्कर में मिलर्स हड़ताल पर है। उन्होंने नियम शर्तों में ढील देने और पेनाल्टी हटाने की बात कही है। सरकार को इस पर निर्णय लेना बाकी है। इस दिशा में अभी पुनर्विचार नहीं किया जा सकता है इसलिए मिलर्स भी अपनी जिद पर अड़े हुए हैं और उन्होंने उपार्जन केंद्रों से धान का उठाव करने में कोई रुचि नहीं दिखाई है।
बफर लिमिट बढ़ाने से स्थिति बदली
याद रहे इस वर्ष धान खरीदी को लेकर कई प्रकार के परिवर्तन किए गए हैं। खरीदी की बफर लिमिट को बढ़ाया गया है। पहले जो लिमिट सुनिश्चित की गई थी उसमें बढ़ोतरी की गई है इस स्थिति में अधिकतम मात्रा में धान आना है। बताया गया कि पहले बफर लिमिट 2 से 4 हजार क्विंटल प्रति सोसाइटी तय थी जो बढ़ाकर 7 हजार 200 क्विंटल तक कर दी गई है। जानकारी मिली है कि सरकार के द्वारा उच्च स्तरीय संग्रहण केंद्र को उरगा के पास डोंगरीभाटा में बनाया जाना प्रस्तावित है। व्यवस्था को विकेंद्रीकृत करने और सहूलियत की दृष्टिकोण से इस प्रकार का काम करना है। जरूरत महसूस की जा रही है कि जिस तरह से राइस मिलर की स्ट्राइक जारी है, उसे ध्यान में रखते हुए डोंगरी भाटा संग्रहण केंद्र को संचालन में शामिल किया जाना चाहिए ताकि उपार्जन केदो से जुड़ी हुई धान के स्टॉक की समस्या को दूर किया जा सके।
की जा रही है व्यवस्था
उपार्जन केदो में काफी मात्रा में धान एकत्र हो रहा है इसकी हमे जानकारी है। उचित समय में धान का उठाव कराया जा सके, इसके लिए आवश्यक प्रयास कराए जा रहे हैं।
-जान्हवी लिल्हारे, डीएमओ मार्कफेड
जाम लग सकता है उपार्जन केंद्रों में
…मौजूदा व्यवस्था ने कोरबा जिले की आदिम जाति सेवा सहकारी समितियां की चिंता भी बढाई है और चुनौती भी। समितियां के कर्मियों का कहना है कि उनके पास जो व्यवस्था है उसके हिसाब से सीमित मात्रा में ही धान को यहां पर रखा जा सकता है। खरीदी के साथ-साथ उठाव नहीं कराई जाने की स्थिति में अगले चार-पांच दिन बाद जाम की समस्या उत्पन्न होना स्वाभाविक है और ऐसा होने पर आगे खरीदी को किया जाना काफी मुश्किल होगा इस वजह से परेशानियां उत्पन्न होगी। उन्होंने इस प्रकार की परेशानी को लेकर संबंधित अधिकारियों तक अपनी बात पहुंचाने की कोशिश की है ताकि वे इस दिशा में हस्तक्षेप करने के साथ जरूरी निर्देश दें ताकि व्यवस्था को सामान्य और सुचारु किया जाना संभव हो सके।