कोरिया बैकुंठपुर। कोरिया जिले सरकारी जमीन कब्जा करना तथा राजस्व रिकॉर्ड में छेड़छाड़ कर भू माफियाओं के सुपुर्द करना इस जिले की परंपरा सी बन गई है मामला सामने आने पर अधिकारी पूर्व अधिकारी का काम बता कर पल्ला झाड़ लेते हैं। जमीन फर्जी वाडे के मामले में राजस्व अधिकारी एवं भू माफियाओं की साठगांठ किसी से छुपी नहीं है जहां आम आम नागरिक व किसान कार्यालय का चक्कर लगाते रहते थे तो वही अधिकारी भूमाफियाओं का काम निपटाकर पीछे के दरवाजे से चले जाते थे।
इस जिले में सरकारी जमीन तथा डुबान क्षेत्र की जमीन अधिकारियों एवं भूमाफियाओं का चारागाह बनकर रह गया है। मुआवजा वितरण में अगर निष्पक्ष जांच की जाए तो करोड़ों का घोटाला सामने आ सकता है ऐसे ही एक मामले में जिले के कंचनपुर में गेज बांध की माइनर नहर पर लोगों ने कब्जा कर लिया है। नहर की जमीन से कब्जा हटाने के लिए जल संसाधन विभाग बीते 3 साल से नोटिस जारी कर रहा है, लेकिन लोग कब्जा नहीं हटा रहे हैं। दूसरी ओर राजस्व के अधिकारियों ने सरकारी रिकॉर्ड में छेड़छाड़ करते हुए नहर की सरकारी जमीन को कई लोगों के नाम कर दी, वहीं भू-नक्शे में जहां से माइनर नहर को होना दर्शाया गया है वहां नहर ही जमीन ही नहीं है। गड़बड़ी सामने आने के बाद राजस्व अधिकारी इसे पुराना मामला बताते हुए इसपर कुछ भी कहने को तैयार नहीं हैं। कोरिया जिले में गेज नहर की जमीन पर सबसे अधिक कब्जे किए हैं। महलपारा से लेकर ग्राम भाड़ी, कंचनपुर में भी नहर की माइनर नहर पर कब्जे हैं जिससे किसानों के खेतों तक पानी नहीं पहुंच पा रहा है। दूसरी ओर राजस्व अधिकारी कब्जा करने वालों के साथ मिलीभगत कर सरकारी जमीन लोगों के नाम कर रहे हैं। बता दें कि महलपारा में गेज की जमीन पर अग्रवाल सिटी बनाए जाने का मामला भी न्यायालय में चल रहा है। जल संसाधन विभाग ने गेज नहर की जमीन पर कॉलोनी बसाकर कब्जा करने पर मामले में नोटिस जारी किया था। वहीं हर्रापारा में गेज की नहर पर आंगनबाड़ी केंद्र समेत लोगों ने निजी मकान भी बनाए हैं। यही हाल ओडग़ी, कंचनपुर, भाड़ी व अन्य क्षेत्रों का है। नहर पर कब्जा किए लोगों को कई साल बीत चुके हैं पर जल संसाधन विभाग की नोटिस से आगे कार्रवाई नहीं बढ़ सकी है। जिले में इस साल अच्छी बारिश से गेज बांध में 23.050 एमसीएम भराव के साथ 100.79 फीसदी पानी है। बांध के ओवर फ्लो होने से जल संसाधन विभाग ने नहरों में पानी छोडऩा शुरू कर दिया है लेकिन कई जगह नहर पर कब्जे होने व नहरों की सफाई नहीं होने के कारण पानी अंतिम छोर तक नहीं पहुंच रहा है, माइनर नहर में पानी नहीं आने से किसानों को समस्या होती है। जबकि गेज की कुल सिंचाई क्षमता 4 हजार 416 हेक्टेयर में है। जिसमें खरीफ में 2720 व रबी फसलों में 1696 हेक्टेयर में सिंचाई होती है। जल संसाधन विभाग के ईई ए टोप्पो ने कहा कि गेज नहर पर कब्जे को लेकर विभाग ने कई बार नोटिस जारी किया है। कुछ मामलों में प्रकरण बनाकर राजस्व व तहसील में प्रस्तुत किया गया है। नहर से कब्जा हटाने के लिए विभाग प्रयास कर रहा है, कार्रवाई की जाएगी। एसडीओ (गेज) बीके त्रिपाठी ने कहा कि कंचनपुर समेत अन्य क्षेत्रों में गेज की नहरों से कब्जा हटाने के लिए कई बार नोटिस जारी किये हैं।