जांजगीर-चांपा । जिला मुख्यालय के घर-घर पानी पहुंचाने की योजना मूर्त रूप नहीं ले पा रही है। 34 करोड़ 55 लाख रुपए की लागत से किया जा रहा नल जल योजना का काम साल भर से बंद है मगर इसे लेकर जिला और नगर प्रशासन को कोई सरोकार नहीं हैं। ठेकेदार ने निर्माण लागत बढऩे का हवाला देकर हाथ खड़े कर दिए। नगर पालिका के जिम्मेदार जनप्रतिनिधि भी खामोश हैं। ऐसे में जिला मुख्यालय वासियों को अगले दो साल तक जल आवर्धन योजना का लाभ नहीं मिलेगा। पूर्व निर्धारित समय के अनुसार काम 5 अक्टूबर 2020 तक पूरा हो जाना था, लेकिन तीन साल से अतिरिक्त होने के बाद भी जल आवर्धन योजना का काम अधूरा है। इधर ठेकेदार को लगभग 20 करोड़ रूपए का भुगतान कर दिया है। जिला मुख्यालय के घर- घर पानी पहुंचाने के लिए नल जल योजना के तहत 34 करोड़ 55 लाख की लागत से काम कराया जा रहा है। इसका ठेका नागपुर की मल्टी अरबन कंपनी को दिया गया है। 2018 में स्वीकृति मिलने के बाद टेंडर निकाला गया। टेंडर की प्रक्रिया पूरी होने के बाद अक्टूबर 2018 में विधानसभा चुनाव के लिए आचार संहिता लग जाने के कारण काम शुरू नहीं हो सका। जैसे तैसे काम शुरू हुआ तो उम्मीद थी कि दो साल में काम पूरा हो जाएगा और शहरवासियों को गर्मी के दिनों में पानी के लिए पेरशान नहीं होना पड़ेगा। मगर इसी बीच कोरोना महामारी के दौरान भी काम बंद रहा। उसके बाद काम की गति धीमी होने के कारण आज तक निर्माण कार्य अधूरा ही है। जबकि नगर पालिका के जिम्मेदार जनप्रतिनिधि और अधिकारियों के द्वारा दावा किया जा रहा है कि आधा काम हो 00दो टंकी में से एक का काम शुरू ही नहीं00 पाइप लाइन से घरों तक पानी पहुंचाने के लिए नगर में दो टंकी चननी है। तुलसी भवन के पास 9 लाख 30 हजार लीटर क्षमता की टंकी बनाने के लिए तीन साल पहले निर्माण कार्य शुरू किया गया था लेकिन रूक-रूक हो रहे निर्माण कार्य के चलते अब तक लागत बढऩे का हवाला देकर ठेकेदार काम शुरू नहीं कर रहा है। अन्य नगरीय निकायों में भी जिन ठेकेदारों ने ठेका लिया है। वे सब एकजूट होकर प्रशासन पर दबाव बना रहे हैं। गया है, लेकिन जमीनी स्तर पर इतना काम दिखता नहीं है। अभी तक केवल इंटेकवेल के पास से लेकर शहर तक पाइपलाइन ही पहुंचा है। शहर में 95 किमी पाइप लाइन बिछाई जानी है, जिसमें से 80 फीसदी तक पाइप लाइन विस्तार होने की बात कही जा रही है और 20 फीसदी ही काम बाकी होने का दावा किया जा रहा है। 00पहले भी पानी में बह गए 4 करोड़ रूपए00 2004 में भी सवा चार करोड़ रूपए खर्चकर पुलिस कंट्रोल रूम के पीछे पानी टंकी बनाकर पाइप लाइन का विस्तार कार्य शुरू हुआ था। 2006 में जल आवर्धन योजना शुरू हुई मगर इसका लाभ नगरवासियों को नहीं मिला। जगह-जगह पाइप फट गई और घरो तक पानी नहीं पहुंचा मगर पीएचई विभाग के जिम्मेदारों पर कोई कार्रवाई नहीं हुई उससे खराब स्थिति इस बार के जल आवर्धन योजना की है। क्योंकि इस बार 00काम ही पूरा नहीं हो सका00 एक टंकी अधूरी है जबकि दूसरी टंकी का निर्माण अब तक शुरू नहीं हुआ है। पूर्व में दिए गए तय समय के अनुसार जिला मुख्यालय के जल आवर्धन का काम 5 अक्टूबर 2020 को पूरा हो जाना था, लेकिन तीन साल बाद भी जल आवर्धन योजना का काम अधूरा ही है। इसी तरह काम चलता रहा तो पानी के लिए नगर के लोगों को दो साल और इंतजार करना पड़ेगा। वाटर ट्रीटमेंट प्लांट फाउंडेशन और इंटेकवेल का काम भी लगभग पूरा। हो जाने का दावा किया जा रहा है। नगर पालिका के जिम्मेदारों द्वारा निर्माण कार्य करने बले ठेकेदार के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की जा रही है इधर होने मगर ठेकेदार ने निर्माण लागत में वृद्धि का हवाला देकर हाथ खड़े कर दिए कोई कार्रवाई नहीं की जा रही है।