
स्वास्थ्य विभाग दे रहा इन लोगों को नि:शुल्क चिकित्सा
कोरबा। शरीर रचना विज्ञान (एनाटॉमी) के अंतर्गत ही शरीर की कार्यप्रणाली काम करती है। अलग-अलग प्रकार की जीवन शैली अपनाने वाले लोगों के मामले में कई प्रकार की समस्याएं आती हैं जबकि बहुत सारे मामलों में लोग निरोगी जीवन भी प्राप्त करते हैं। इन सबसे अलग हटकर कई कारण ऐसे होते हैं जो बीमारी की तरफ बढ़ा देते हैं। सिकलसेल एनीमिया इनमें से एक है, जिसने कोरबा जिले में अपनी उपस्थिति न केवल दर्ज कराई है बल्कि बढ़ोत्तरी की है। स्वास्थ्य विभाग ऐसे मामलों में लोगों को नि:शुल्क चिकित्सा उपलब्ध करा रहा है।
विभाग की ओर से बताया गया कि कोरबा में अलग-अलग समुदाय के लोग सिकलसेल की चपेट में है। इनमें छोटी उम्र से लेकर उम्र दराज लोग भी शामिल हैं। ये भिन्न-भिन्न क्षेत्र के भी हैं। सिकलसेल को लेकर कई प्रकार की मान्यताएं हैं और धारणाएं भी। इन सबसे अलग हटकर विभाग लोगों को कुल मिलाकर उपयुक्त चिकित्सा लेने के लिए प्रेरित कर रहा है। बताया गया कि कई तरह की समस्याओं का एक ग्रुप जिनसे लाल रक्त कोशिकाओं का आकार बिगड़ जाता है और वे टूट जाती हैं।
सिकलसेल रोग एक आनुवांशिक विकार है जिसमें लाल रक्त कोशिकाएं हंसिया के आकार में परिवर्तित हो जाती हैं। कोशिकाएं जल्दी मर जाती हैं, जिससे स्वस्थ लाल रक्त कोशिकाओं (सिकल सेल एनीमिया) की कमी हो जाती है और रक्त प्रवाह अवरुद्ध हो सकता है जिससे दर्द (सिकल सेल संकट) हो सकता है। सांस लेने में तकलीफ और थकान इस स्थिति के सामान्य लक्षण हैं, जो घातक हो सकते हैं। अंग क्षति. सिकल कोशिकाएं जो अंगों में रक्त के प्रवाह को अवरुद्ध करती हैं, प्रभावित अंगों को रक्त और ऑक्सीजन से वंचित कर देती हैं। सिकल सेल एनीमिया में रक्त में ऑक्सीजन की मात्रा भी कम हो जाती है।
दूसरे प्रभावित वाहक से न करें विवाह
सिकलसेल की बीमारी वंशानुगत प्रकृति की है और इसी हिसाब से यह आगे विस्तार पाती है। जहां भी इसकी संख्या बढ़ रही है उसके पीछे यह सिद्धांत काम करता है। स्वास्थ्य विभाग लोगों को सलाह देता है कि एक वाहक जो इस बीमारी की चपेट में है, वह दूसरे किसी वाहक से विवाह न करे। कारण यह है कि आने वाली संतति भी संक्रमित होती है और फिर सिलसिला बढ़ता है। विभाग की सलाह मानने पर बीमारी का नियंत्रण संभव है और एक स्थिति में इससे उबर सकते हैं। जिले में वर्तमान में सिकलसेल प्रभावितों की संख्या 318 है।
डॉ. एस.एन.केसरी, सीएमएचओ कोरबा