जोधपुर, २२ दिसम्बर ।
केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की अध्यक्षता में राजस्थान के जैसलमेर में जीएसटी काउंसिल की 55 वीं बैठक संपन्न हुई। बैठक में आगामी बजट और जीएसटी को लेकर आए कई प्रस्ताव और प्रावधानों पर चर्चा हुई। काउंसिल की बैठक में टर्म इंश्योरेंस, जीवन बीमा और स्वास्थ्य बीमा पर टैक्स कम करने का प्रस्ताव राज्यों के विरोध के चलते टल गया है। काउंसिल ने मंत्रियों से इस पर और अध्ययन करने को कहा है। निर्णय अब अगली बैठक में होगा।
वहीं राज्यों ने पेट्रोल और डीजल को जीएसटी के दायरे में लाने पर सहमति नहीं जताई है। बैठक के बाद मीडिया ब्रीफिंग में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने फैसलों के बारे में जानकारी दी। उन्होंने बताया कि देश से बाहर माल भेजने वाले सप्लायर्स पर लगने वाले कंपनसेशन सेस को कम किए जाने पर सहमति बनी है। इससे निर्यातकों का वर्किंग कैपिटल बढ़ेगा।फॉर्टिफाइड चावल के कर्नेल्स पर जीएसटी दर को घटाकर पांच फीसदी कर दिया गया है। नमकीन पॉपकॉर्न पर 5 फीसदी जीएसटी लगेगी। अगर वह शुगर कोटेड (कैरेमलाइज ) है तो उस पर 18 प्रतिशत जीएसटी लगेगी। किसान के काली मिर्च और किशमिश की आपूर्ति पर कोई जीएसटी नहीं लगेगी। वहीं 50 फीसदी फ्लाई ऐश वाले एसीसी ब्लॉक्स पर 12 फीसदी जीएसटी लगेगी। अगर कोई व्यक्ति सेकेंड हैंड कार बेचता है तो उस पर कोई टैक्स नहीं लगेगा। मगर कोई कंपनी के माध्यम से कार बेचने पर 18 फीसदी जीएसटी देनी होगी। यह जीएसटी यूज्ड इलेक्ट्रॉनिक व्हीकल पर भी लागू होगा। सतह से हवा में मार मरने वाली मिसाइलों पर आईजीएसटी छूट को बढ़ाया जाएगा। मंत्री समूह ने कई अन्य प्रस्ताव दिए हैं।
इन प्रस्ताव में सिगरेट और तंबाकू में जीएसटी की दर 35 फीसदी करना शामिल है। 1500 रुपये तक की कीमत के कपड़ों पर 5 फीसदी जीएसटी, 10 हजार रुपये तक के कपड़ों पर 18 और इससे मंहगे कपड़ों पर 28 फीसदी जीएसटी का प्रस्ताव है। बैठक में 15 हजार रुपये से महंगे जूते और 25 हजार रुपये से महंगाई कलाई घडिय़ों पर 28 फीसदी जीएसटी की सिफारिश की गई है। ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म के माध्यम से खाना मंगवाने पर डिलीवरी शुल्क पर जीएसटी को कम करने वाले प्रस्ताव को टाल दिया गया है।पैक और लेबल वाले रेडी-टू-ईट स्नैक्स पर 12त्न जीएसटी लगेगा। वहीं कैरामेलाइज्ड पॉपकॉर्न पर 18त्न जीएसटी लगेगा।नमक और मसालों रेडी-टू-ईट पॉपकॉर्न पर 5 फीसदी टैक्स लगेगा। मगर शर्त यह है कि वह पहले से पैक और लेबल नहीं हो।
एविएशन टर्बाइन फ्यूल को जीएसटी के दायरे में लाने के केंद्र के प्रस्ताव का राज्यों ने किया विरोध। दायरे में आने से हवाई यात्रा सस्ती होती।लाइफ और हेल्थ इंश्योरेंस की खरीदारी पर लगने वाले 18 प्रतिशत जीएसटी में राहत के लिए अभी और इंतजार करना होगा। बैठक में इन दोनों इंश्योरेंस की खरीदारी पर लगने वाले जीएसटी में कटौती पर कोई फैसला नहीं हो सका। काउंसिल की गत तीन बैठक से इस मुद्दे पर चर्चा तो होती है, लेकिन फैसला नहीं हो पाता है।वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की तरफ से यह बताया गया कि इस मामले को लेकर बनाए गए मंत्रियों के समूह (जीओएम) को इस मुद्दे पर भारतीय बीमा विनियामक और विकास प्राधिकरण (इरडा) की तरफ से जवाब नहीं मिला है, इसलिए इस पर फैसला नहीं हो सका। अब इरडा पहले जीओएम को अपने विचार देगा फिर जीओएम काउंसिल के समक्ष इस मसले को फैसले के लिए रखेगी।वित्त मंत्री ने बताया कि काउंसिल की बैठक में हवाई जहाज में इस्तेमाल होने वाले एयर टरबाइन फ्यूल (एटीएफ) को भी जीएसटी के दायरे में लाने का प्रस्ताव केंद्र की तरफ से रखा गया। मगर राज्यों ने इस पर अपनी सहमति नहीं दी। राज्यों ने साफ कहा कि पेट्रोल, डीजल व एटीएफ पर टैक्स के रूप में वैट लगाने का अधिकार राज्यों के पास ही रहना चाहिए। एटीएफ को जीएसटी में लाने पर इस पर कम टैक्स लगेगा जिससे हवाई यात्रा सस्ती हो सकती है।जीएसटी काउंसिल की बैठक जैसलमेर के पांच सितारा होटल में दो सत्रों में आयोजित की गई। इसमें केंद्रीय वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी के साथ गोवा, हरियाणा, जम्मू- कश्मीर, मेघालय, ओडिशा के मुख्यमंत्री व अरुणाचल प्रदेश, बिहार, मध्य प्रदेश, राजस्थान, तेलंगाना के उपमुख्यमंत्री और आर्थिक मामलों व व्यय विभागों के सचिव और वित्त मंत्रालय मौजूद रहे। राजस्थान में यह बैठक दूसरी बार आयोजित की गई। पहली बैठक उदयपुर में हुई थी।