
भोपाल। नर्सिंग कालेजों की जांच में भ्रष्टाचार का राजफाश होने के बाद मुख्यमंत्री डा. मोहन यादव ने कड़ा रुख अपनाया है। उन्होंने मुख्य सचिव वीरा राणा, डीजीपी सुधीर सक्सेना, एसीएस स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा मो. सुलेमान, प्रमुख सचिव गृह संजय दुबे सहित कई अन्य अधिकारियों को मंत्रालय में तलब किया था। शनिवार शाम तक नर्सिंग घोटाला की जांच में रिश्वत कांड के आरोपित अधिकारियों पर कोई कार्रवाई नहीं होने पर उन्होंने नाराजगी जताई। उन्होंने प्रश्न किया कि जब केंद्रीय जांच एजेंसी सीबीआइ ने भ्रष्टाचार में लिप्त निरीक्षक को 24 घंटे में बर्खास्त कर दिया था तो अब तक राज्य सरकार के लिप्त अधिकारी और कर्मचारियों के विरुद्ध कार्रवाई क्यों नहीं की गई? दागी पुलिसकर्मियों को अब तक क्यों बर्खास्त नहीं किया गया। जो अमला जांच में संलग्न था, चाहे वह राजस्व के पटवारी हों या अन्य, उन्हें अब तक चिह्नित क्यों नहीं किया गया है। सीबीआइ ने रिश्वतकांड में मध्य प्रदेश पुलिस के दो अधिकारियों को आरोपित बनाया है। इनमें अटैचमेंट में सीबीआइ में पदस्थ निरीक्षक सुशील कुमार मजोका को गिरफ्तारी के बाद निलंबित कर दिया गया है, जबकि एक अन्य निरीक्षक ऋषिकांत असाटी पर अभी तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है। असाटी मप्र एसएएफ से हैं।