नईदिल्ली, २२ अक्टूबर ।
महाराष्ट्र में विपक्षी गठबंधन महाविकास आघाड़ी में शामिल दलों के बीच सीटों को लेकर उलझी सियासी गांठ खोलने का पूरा दारोमदार अब राकांपा (शरदचंद्र पवार) गुट के शीर्षस्थ नेता शरद पवार पर है। कांग्रेस और शिवसेना (यूबीटी) में करीब तीन दर्जन सीटों पर दावेदारी को लेकर चल रही खींचतान से बढ़े तनाव के चलते दोनों दलों के नेतृत्व ने पवार को गठबंधन के सियासी रेफरी की भूमिका सौंपी है। इस बीच कांग्रेस की केंद्रीय चुनाव समिति ने महाराष्ट्र के अपने उम्मीदवारों की पहली सूची के नाम सोमवार को तय कर दिए, लेकिन इसकी घोषणा अभी नहीं की है। संकेतों से स्पष्ट है कि महाविकास आघाड़ी के दरकने की कोई आशंका नहीं है, क्योंकि दोनों दलों के शीर्ष नेतृत्व ने सुलह का फार्मूला निकालने के लिए लचीलापन दिखाने का संदेश दिया है। सूत्रों के अनुसार, दोनों दलों के शीर्ष नेताओं और पवार के बीच चुनाव लडऩे को लेकर सैद्धांतिक सहमति से पीछे न हटने को देखते हुए कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने सोमवार को केंद्रीय चुनाव समिति की बैठक बुलाकर पार्टी उम्मीदवारों की पहली सूची के नाम तय कर दिए। चुनाव समिति की बैठक में लोकसभा में नेता विपक्ष राहुल गांधी और कांग्रेस संसदीय दल की अध्यक्ष सोनिया गांधी भी मौजूद थीं। कांग्रेस सूबे की 288 विधानसभा सीटों में कम से कम 110 सीटों पर चुनाव लडऩे की तैयारी में है तो उद्धव ठाकरे की पार्टी भी 100 से ज्यादा सीटें मांग रही है। विवाद सीटों की संख्या से ज्यादा उन सीटों को लेकर है, जिन पर दोनों दल दावेदारी कर रहे हैं। शिवसेना (यूबीटी) मुंबई, नासिक तथा विदर्भ इलाके की कई ऐसी सीटों पर दावा कर रही है जो कांग्रेस की सूची में है। शिवसेना (यूबीटी) का तर्क है कि इन सीटों पर अभी न कांग्रेस के विधायक हैं न ही पवार की पार्टी के हैं।जबकि, कांग्रेस का इन सीटों पर परंपरागत आधार वोट है और शिवसेना (यूबीटी) का कभी प्रभाव नहीं रहा। राकांपा (शरदचंद्र पवार) और कांग्रेस के बीच कुछ एक सीटों की उलझन है, लेकिन दोनों दल इसे सुलझा लेने को लेकर आश्वस्त हैं। उद्धव की पार्टी ने शनिवार आधी रात सीट बंटवारे पर महाराष्ट्र कांग्रेस के नेताओं के साथ खटास बढ़ जाने के बाद कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व और पवार से दखल देने का आग्रह किया। पवार ने उद्धव ठाकरे और फिर मल्लिकार्जुन खरगे से रविवार को फोन पर चर्चा की। समझा जाता है कि दोनों दलों के नेताओं ने पवार को राजनीतिक वास्तविकता और मिलकर चुनाव लडऩे की साझा जरूरत के मद्देनजर विवादित सीटों का मसला सुलझाने की जिम्मेदारी सौंपी और लचीला रुख अपनाने का संकेत दिया।