कमीशनखोरी के साथ ज्यादा मुआवजा दिलाने का आरोप
कोरबा। साउथ ईस्टर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड के कोयला खदानों को बढ़ाने के लिए भूअर्जन का काम तेज रफ्तार से चल रहा है। नए नियमों के अनुसार मुआवजा की दरों में बढ़ोत्तरी की गई है। कृषि, गैर कृषि और रिहायशी क्षेत्र के अलावा जल संसाधनों के मामले में नई दरों से प्रभावितों को मुआवजा दिया जा रहा है। अलग-अलग कारणों से इस मामले में भी खेल शुरू हो गया है। दीपका, हरदीबाजार क्षेत्र में दो जगह केंद्रीय जांच एजेंसी सीबीआई के छापे ने कई लोगों की नींद उड़ा दी है। अहम दस्तावेज साथ ले जाने से वे लोग चिंतित हैं जिनकी भूमिका मुआवजा के मामले में रही है।
कोरबा जिले में किसी भी परियोजना को लेकर भूअर्जन और मुआवजा वितरण के नाम पर धाधली से जुड़ा यह पहला मामला है जिसमें पुख्ता शिकायत पर सीबीआई ने संज्ञान लिया। एसईसीएल दीपका क्षेत्र में हुई इस कार्यवाही ने प्रभावितों के साथ-साथ राजस्व अधिकारियों और अन्य संबंधितों को निशाने पर ला दिया जिन्होंने ऐसे प्रकरणों को अंतिम चरण तक पहुंचाने में प्रभाव तरीके से काम किया। कोरबा जिले में एसईसीएल की कोयला खदानों का दायरा बढ़ाने के लिए लगातार काम चल रहा है और भारत सरकार ने इसे प्राथमिकता क्रम में रखा है इसलिए राज्य सरकार से समन्वय बनाते हुए पर्यावरणीय स्वीकृति के साथ-साथ समस्त तरीके की रूकावटों को दूर करते हुए नतीजे हासिल करने की कोशिश जारी है। प्रभावितों को दी जानी वाली क्षतिपूर्ति और अन्य सुविधाओं से शातिर किस्म के लोगों का बाजार चल निकला। बहती गंगा में हाथ धोने के लिए एसईसीएल के साथ-साथ राजस्व और वन विभाग के लोग भी तैयार हो गए। खबर है कि हालिया शिकयत के बाद कोरबा जिले में जो कार्यवाही हुई उसमें कई महत्वपूर्ण दस्तावेज केंद्रीय जांच एजेंसी को मिले है। जमीनी स्तर पर हुई गड़बड़ी और इसके साथ करोड़ों का मुआवजा झटकने की स्क्रीप्ट रचने के मामले ने सीबीआई को चौंका दिया।
दावा किया जा रहा है कि अब इसी प्रकरण के साथ पुराने मामलों की फाइल भी खोलने की तैयारी की जा रही है। ऐसे प्रकरणों में कटघोरा सब डिवीजन के भूअर्जन अधिकारी और उनकी टीम की संलिप्तता और अन्य संबंधित अधिकारियों की भूमिका की भी जांच सीबीआई कर सकती है। कहा जा रहा है कि पूरा माना सरकारी धन का बेजा दुरुपयोग से जुड़ा हुआ है इसलिए भी एजेंसी गंभीर है।