हर साल भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को हरतालिका तीज का व्रत किया जाता है। हिंदू धर्म में इस व्रत का विशेष महत्व होता है। इस बार 06 सितंबर 2024 को हरतालिका तीज का व्रत किया जा रहा है। यह व्रत भगवान शिव और मां पार्वती को समर्पित होता है। इस दिन महिलाएं भगवान शिव और मां पार्वती की विधि-विधान से पूजा-अर्चना करती हैं। सुहागिन महिलाएं हरतालिका तीज पर निर्जला व्रत करती हैं।
धार्मिक मान्यता के अनुसार, मां पार्वती ने भगवान शिव को पति के रूप में पाने के लिए पहली बार हरतालिका तीज का व्रत किया किया था। तो आज इस आर्टिकल के जरिए हम आपको हरतालिका व्रत का महत्व, तिथि, पूजा विधि और शुभ मुहूर्त के बारे में बताने जा रहे हैं।
तिथि
हिंदू पंचांग के मुताबिक इस साल हरतालिका तीज की तिथि भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि 05 सितंबर को दोपहर 12.22 मिनट शुरू हुई है। वहीं अगले दिन यानी की 06 सितंबर को दोपहर 03:01 मिनट पर समाप्त होगी। वहीं उदयातिथि के हिसाब से 06 सितंबर 2024 को हरतालिका तीज का व्रत किया जा रहा है।
शुभ योग-इस साल हरतालिका तीज पर बहुत शुभ संयोग बन रहा है। पंचांग गणना के अनुसार 06 सितंबर को हरतालिका तीज के मौके पर रवि और शुक्ल योग के साथ चित्रा नक्षत्र का संयोग बन रहा है।
पूजा मुहूर्त-हरतालिका तीज के मौके पर भगवान शिव और मां पार्वती की विशेष रूप से पूजा-अर्चना की जाती है। मां पार्वती और भगवान शिव की पूजा के लिए प्रदोष काल का समय सबसे अच्छा होता है। सूर्यास्त के बाद का समय प्रदोष काल का समय होता है। बता दें कि 06 सितंबर को सुबह 06.02 मिनट से लेकर 08.33 मिनट तक पूजा का मुहूर्त रहेगा। 06 सितंबर को शाम 06:36 मिनट से प्रदोष काल शुरू होगा।
पूजन विधि-हरतालिका तीज के पूजन के लिए भगवान शिव, मां पार्वती और भगवान गणेश की बालू-रेत व काली मिट्टी की प्रतिमा अपने हाथों से बनाई जाती है। पूजा स्थान को फूलों से सजाकर एक लकड़ी की चौकी रखें। इस चौकी पर केले के पत्ते रखकर भगवान शिव, मां पार्वती और भगवान गणेश की प्रतिमा को स्थापित करें। इसके बाद मां पार्वती को सुहाग का सामान चढ़ाएं। फिर भगवान शिव को धोती और अंगोछा चढ़ाएं। अब देवी-देवताओं का आह्वान करते हुए भगवान शिव, मां पार्वती और भगवान गणेश का विधि-विधान से पूजा करें।
भगवान शिव के मंत्र
ऊं नम: शिवाय – इस मंत्र का जाप भगवान शिव की कृपा प्राप्त करने के लिए किया जाता है। यह मंत्र शिवजी के शांति, समृद्धि और शक्ति का प्रतीक है।
माता पार्वती के मंत्र
ऊंगौरीशंकराय नम: – यह मंत्र माता पार्वती और भगवान शिव की संयुक्त आराधना का मंत्र है। इसका जाप वैवाहिक सुख और अखंड सौभाग्य की प्राप्ति के लिए किया जाता है।
शिव-पार्वती विवाह मंत्र
ऊं उमामहेश्वराभ्यां नम:ऊं यह मंत्र शिव और पार्वती के दिव्य मिलन और विवाह का प्रतीक है। इसे विशेष रूप से हरतालिका तीज के दिन जपा जाता है।
मृत्युंजय मंत्र
ऊं त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्। उर्वारुकमिव बन्धनान्मृत्योर्मुक्षीय माऽमृतात्॥
यह मंत्र भगवान शिव के मृत्युंजय रूप की स्तुति करता है और जीवन में दीर्घायु, स्वास्थ्य, और कष्टों से मुक्ति दिलाने में सहायक होता है।
पार्वती पूजन मंत्र
ऊं पार्वत्यै नम:ऊं इस मंत्र का जाप करके माता पार्वती की कृपा प्राप्त की जाती है, जिससे विवाहित जीवन में सुख और समृद्धि का आगमन होता है।
गणेश मंत्र (पूजा से पहले)
ऊं गं गणपतये नम:- हर पूजा में सबसे पहले भगवान गणेश की आराधना की जाती है। इस मंत्र का जाप हरतालिका तीज की पूजा से पहले किया जाता है, ताकि पूजा बिना किसी विघ्न के पूर्ण हो।
हरतालिका तीज कथा पढऩे के लाभ
हरतालिका तीज की कथा भगवान शिव और माता पार्वती की अटूट भक्ति और प्रेम की कथा है। इसे पढऩे या सुनने से वैवाहिक जीवन में प्रेम, समर्पण और एक-दूसरे के प्रति सम्मान बढ़ता है।
इस व्रत को रखने से और कथा सुनने से पति की लंबी उम्र और सुखी जीवन के लिए आशीर्वाद प्राप्त होता है। विशेष रूप से विवाहित महिलाएं इसे अपने पति की भलाई के लिए करती हैं। हरतालिका तीज कथा का पाठ परिवार में सुख-समृद्धि और शांति लाता है।
ऐसा माना जाता है कि इसे पढऩे से घर में कोई भी अशांति या कठिनाइयां दूर होती हैं। अविवाहित लड़कियां भी इस व्रत को मनचाहा जीवनसाथी पाने के लिए करती हैं। कथा सुनने और व्रत रखने से उनकी इच्छाएं पूरी होती हैं और उन्हें उत्तम जीवनसाथी की प्राप्ति होती है। इस दिन व्रत करने से और कथा सुनने से आत्मिक शांति और मोक्ष की प्राप्ति होती है। यह व्रत कठिन होता है लेकिन इसे श्रद्धा और भक्ति से करने से आध्यात्मिक लाभ भी मिलते हैं।