नईदिल्ली, १७ दिसम्बर ।
सुप्रीम कोर्ट में उत्तर प्रदेश प्रशासन के खिलाफ अवमानना की याचिका दायर की गई जिसमें गाजियाबाद में होने वाली धर्म संसद के खिलाफ पुलिस प्रशासन के कार्रवाई नहीं करने का आरोप लगाया गया है।सर्वोच्च अदालत ने सोमवार को कुछ पूर्व नौकरशाहों और सामाजिक कार्यकर्ताओं से कहा कि वे इस मामले पर तत्काल सुनवाई के लिए ईमेल भेजें। इस याचिका में आरोप लगाया गया था कि इसमें मुसलमानों के नरसंहार का आह्वान किया गया है। मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना और जस्टिस संजय कुमार की पीठ से कुछ पूर्व नौकरशाहों की ओर से पेश वकील प्रशांत भूषण ने आग्रह किया कि 17 से 21 दिसंबर के बीच गाजियाबाद में होने वाली धर्म संसद संबंधी इस याचिका को तत्काल सूचीबद्ध किया जाना चाहिए।
मुख्य न्यायाधीश खन्ना ने कहा, मैं विचार करूंगा। कृपया ईमेल भेजें। इस पर भूषण ने कहा कि मुसलमानों के नरसंहार का खुला आह्वान किया गया है और इस याचिका पर तत्काल सुनवाई की आवश्यकता है क्योंकि मंगलवार से धर्म संसद शुरू हो रही है।यति नरसिंहानंद फाउंडेशन द्वारा धर्म संसद का आयोजन गाजियाबाद के डासना स्थित शिव-शक्ति मंदिर परिसर में मंगलवार से शनिवार तक प्रस्तावित है।
कार्यकर्ताओं और पूर्व नौकरशाहों ने गाजियाबाद जिला प्रशासन और उत्तर प्रदेश पुलिस के खिलाफ शीर्ष अदालत के आदेशों की ‘जानबूझकर अवमानना’ करने का आरोप लगाते हुए एक अवमानना याचिका दायर की है।शीर्ष अदालत ने सभी सक्षम और उपयुक्त प्राधिकारियों को सांप्रदायिक गतिविधियों और घृणास्पद भाषणों में लिप्त व्यक्तियों या समूहों के खिलाफ स्वत: संज्ञान लेते हुए कार्रवाई करने का निर्देश दिया था।