भाटापारा। छत्तीसगढ़ के बलौदाबाजार में सनसनीखेज हनीट्रैप मामले में एक और महिला आरोपी को गिरफ्तार किया गया है। पकड़ी गई महिला का नाम पुष्पमाला 27 वर्ष निवासी शिव मंदिर बलौदाबाजार है। बता दें, इससे पहले पुलिस ने तीन युवती और एक युवक को गिरफ्तार किया था। आरोपियों में कई नामचीन शामिल है। ये सभी मिलकर धनवान, शासकीय एवं प्राइवेट नौकरी से रिटायर्ड लोगों को हनीट्रैप में फंसाते थे। फिर उन्हें बदनाम करने की धमकी देकर उनसे मोटी रकम वसूला करते थे। अभी भी इस गिरोह के मास्टरमाइंड सहित कई फरार है, जिनकी गिरफ्तारी के लिए पुलिस द्वारा हर संभावित ठिकानों पर दबिश दी जा रही है।
जानकारी के मुताबिक, थाना सिटी कोतवाली में धारा 384, 389, 34 भादवि के तहत अपराध दर्ज किया गया था। जांच में पीड़ित पक्ष के लोगों से विस्तृत पूछताछ की गई, जिसमें यह तथ्य सामने आया कि मुख्य सरगना शिरीष पांडे, मंजूलता फेकर, मोंटी उर्फ प्रत्यूष मरैया, दुर्गा टंडन, महान मिश्रा व अन्य आरोपियों द्वारा खुबसूरत लड़कियों को पीड़ितों के घर में भेजा जाता था और उनकी फोटो-वीडियो खिंच उन्हें झूठे मामले में फंसाने की धमकी देकर मोटी रकम उगाही की जाती थी। इस मामले को एसपी ने संज्ञान में लिया और जांच कर आरोपियों को गिरफ्तार करने के निर्देश दिए। पुलिस ने प्रकरण में कार्रवाई करते हुए अब तक कुल 5 आरोपियों को पकड़ा गया है, जिनसे पूछताछ पर बलौदाबाजार शहर में भयादोहन कर 41 लाख रुपए की वसूली करने की बात कबूल की है।
गिरोह द्वारा बहुत ही सुनियोजित तरीके से बलौदाबाजार शहर एवं आसपास के धनवान एवं विभिन्न शासकीय एवं प्राइवेट सेवाओं से सेवानिवृत्त हुए लोगों को अपने झांसे में लिया जाता था। साथ ही उन्हें महिला संबंधी अपराध में फंसाने एवं लोक-लाज का भय दिखाकर लाखों रुपए की वसूली की जाती थी। यह गिरोह बहुत ही शातिर तरीके से अपने काम को अंजाम देता था तथा गिरोह के सभी सदस्यों के काम अलग अलग थे। गिरोह का मुख्य सरगना एवं मास्टर माइंड शिरीष पांडे एवं पुष्पमाला फेकर है। मुख्य सरगना एवं मास्टरमाइंड शिरीष पांडे एवं पुष्पमाला फेकर इन दोनों आरोपियों द्वारा ही बलौदाबाजार नगर में धनवान व अन्य लोगों को चिन्हित करते थे। उसके बाद
शिरीष पांडे खुद को नेता बताकर अपनी राजनीतिक पहुंच एवं पहचान का प्रभाव दिखाते हुए उनसे मेलजोल बढ़ाकर उनको लडकी उपलब्ध करने का झांसा दिया जाता था। तत्पश्चात गिरोह के सभी सदस्यों को एक्टिव कर प्रार्थी क़ो भयादोहन कर प्रार्थी से लाखों रूपये की वसूली की जाती थी।