जयपुर, २० अक्टूबर । राजस्थान विधानसभा चुनाव में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के विश्वस्त स्वायत्त शासन मंत्री शांति धारीवाल, जलदाय मंत्री महेश जोशी और पर्यटन विकास निगम के अध्यक्ष धर्मेंद्र राठौड़ के टिकट कटना लगभग तय है। पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और राहुल गांधी तीनों नेताओं को टिकट दिए जाने के पक्ष में नहीं हैं। इसके बावजूद सीएम गहलोत धारीवाल को टिकट दिलवाने के लिए लॉबिंग में जुटे हैं। सूत्रों के अनुसार, केंद्रीय चुनाव समिति की बुधवार को हुई बैठक में धारीवाल, जोशी व राठौड़ को लेकर सोनिया और राहुल का रुख बेहद सख्त था। इसके बाद गहलोत ने अब केवल धारीवाल को टिकट दिलवाने पर ध्यान केंद्रित किया है। राठौड़ मध्य प्रदेश के पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह के माध्यम से टिकट के लिए लॉबिंग कर रहे हैं। गहलोत ने उनकी मदद करने से खुद को दूर कर लिया है। दरअसल, धारीवाल, जोशी और राठौड़ ने 25 सितंबर, 2021 को सोनिया के निर्देश पर बुलाई गई बैठक में शामिल होने से कांग्रेस विधायकों को रोका था। तीनों नेता 80 से अधिक विधायकों को एकत्र कर विधानसभा अध्यक्ष सीपी जोशी के आवास पर ले गए, जहां एक कागज पर सभी से हस्ताक्षर करवा कर जोशी को इस्तीफे दिलवाए थे। सोनिया ने बैठक में पर्यवेक्षक के तौर पर वर्तमान राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे और कोषाध्यक्ष अजय माकन को जयपुर भेजा था। दोनों नेता विधायकों का इंतजार करते रहे, लेकिन धारीवाल, जोशी व राठौड़ ने विधायकों को बैठक में नहीं जाने दिया। माना जा रहा था कि बैठक में मुख्यमंत्री बदलने को लेकर सोनिया को अधिकार देने का प्रस्ताव पारित होना था। अनुमान था कि सोनिया पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट को सीएम बनाएंगी। गहलोत खेमे ने आलाकमान की इस रणनीति को भांप लिया और बैठक ही नहीं होने दी। तब से सोनिया व राहुल गहलोत खेमे से नाराज बताए जाते हैं। गहलोत के बराबर पायलट और डोटासरा को महत्वसूत्रों के अनुसार सोनिया व राहुल ने गहलोत के तीन विश्वस्तों को टिकट नहीं देने की मंशा जताने के साथ ही शेष नाम तय करने में उन्हें पूरा महत्व देने की बात चुनाव समिति की बैठक में कही। पायलट और प्रदेशाध्यक्ष गोविंद डोटासरा के समर्थकों को प्रत्याशी चयन में महत्व मिलेगा। सूत्रों के अनुसार, पायलट के 21 समर्थकों को प्रत्याशी बनाया जाना तय हो गया है। डोटासरा के आठ समर्थकों को टिकट दिया जा रहा है। ——————