बतौली। बतौली के शांतिपारा स्थित बालक हायर सेकेंडरी स्कूल की ग्यारहवीं कक्षा की छत का प्लास्टर शनिवार को गिर गया । विद्यार्थी बाल बाल बच गए। ग्रामीणों ने बताया कि कई कमरों की हालत दयनीय है। तत्काल मरम्मत की आवश्यकता है। शांतिपारा में शासकीय बालक हायर सेकेंडरी स्कूल सन 1966 से स्थापित है। यह क्षेत्र का सबसे बड़ा स्कूल है। स्कूल ने इतने वर्षों में कई कीर्तिमान रचे हैं ।बावजूद इसके आज स्कूल की दशा अत्यंत दयनीय हो गई है । खपरैल स्कूल को आज तक नया भवन नसीब नहीं हुआ है। कई बार इस संबंध में अधिकारियों और जनप्रतिनिधियों से बातचीत हुई । कई बार घोषणाएं हुई ,लेकिन क्षेत्र के विद्यार्थियों को आज तक नया भवन नसीब नहीं हुआ। लिहाजा अब कई कमरे जानलेवा साबित हो रहे हैं। शनिवार को कक्षा ग्यारहवीं कला का प्लास्टर गिर गया ।कोई बड़ी घटना नहीं घटी, लेकिन इससे सबक लेना चाहिए।इस कमरे की छत काफी जर्जर है । आने वाले दिनों में यदि बारिश होती है तो और भी प्लास्टर गिर सकते हैं। पूरी दीवार में सीपेज है। कुल मिलाकर इस स्कूल में 11 से ज्यादा कमरे हैं। 800 से ज्यादा विद्यार्थी हैं लेकिन इन सभी को जर्जर भवन में अध्ययन करना पड़ रहा है। स्कूल के कई कमरे डिस्मेंटल घोषित किए गए हैं। ऐसा नहीं है कि इस स्कूल को भवन कभी नसीब नहीं हुआ। इस स्कूल को एक उच्च स्तरीय भवन नसीब हुआ था ,लेकिन एन मौके पर उसमें आत्मानंद अंग्रेजी माध्यम विद्यालय के संचालन की योजना बनाई गई और हिंदी के बालक हायर सेकेंडरी स्कूल को यथावत पुराने खपरैल पोश भवन में संचालित करने दिया गया । परिणामत: हिंदी माध्यम के विद्यार्थियों को नया भवन नसीब नहीं हो पाया और अभी भी पुराने भवन में अध्ययन करने की मजबूरी है। इसके साथ ही बीते वर्षों में एक लैब और अतिरिक्त कक्ष भी मिला था लेकिन उनका भी उपयोग स्कूल के लिए नही हो पाया। शासकीय आत्मानंद अंग्रेजी माध्यम विद्यालय स्थापित करने और संचालित करने के लिए शासन स्तर पर बालक हायर सेकेंडरी स्कूल शांतिपारा के ही यू डाइस कोड को उपयोग में लाया गया । फिलहाल स्थिति यह है कि हिंदी माध्यम के स्कूल के पास अपना यू डाइस कोड ही नहीं है । इसलिए समस्त प्रशासनिक कार्य आत्मानंद अंग्रेजी माध्यम विद्यालय के प्राचार्य के माध्यम से ही होते हैं । शांतिपारा के प्रतिष्ठित उक्त स्कूल को बचाने के लिए कई बार विभिन्न जनप्रतिनिधियों के सामने गुहार लगाई गई। सिलमा पंचायत के सरपंच के माध्यम से न्यायालयीन प्रक्रिया का सहारा भी लिया गया। नतीजतन स्कूल तो संचालित है लेकिन बिना यू डाइस कोड के स्कूल का संचालन हो रहा है और किसी तरह सभी की कोशिश है कि स्कूल का अस्तित्व बचा रहे और गौरवशाली इतिहास और स्वर्णिम भविष्य को बचाए रखा जा सके। प्लास्टर गिरने से किसी को चोट नहीं लगी है। इस कमरे में अब कक्षा का संचालन नहीं किया जाएगा । कई कमरे जर्जर हो चुके हैं ।यदि तीन दिन तक लगातार बारिश हो जाए तो बैठना तक मुश्किल हो जाता है। कमरों की भी कमी है । नवमी के चार सेक्शन आत्मानंद स्कूल में लगाए जा रहे हैं। नए भवन की नितांत आवश्यकता है।