जांजगीर-चांपा। नहर में पानी बंद होते ही मछुआरों की टोली सड़क पर उतर आई है। मछली पकडऩे मछुआरे नहर में सुराख भी लगा रहे हैं। क्योंकि नहर में पानी बंद होते ही मछलियां नहरों की दीवारों की छेद में चली जाती हैं। इनको पकडऩे मछुआरे नहर की दीवारों को छेड़छाड़ करने से गुरेज नहीं कर रहे हैं। इससे नहर क्षतिग्रस्त हो रहा है। इससे सिंचाई विभाग को कोई सरोकार नहीं है। गौरतलब है कि 1 नवंबर से नहर की धार पूरी तरह बंद हो गई है। नहर के निचली सतहों में ही पानी जमा है। वहीं माइनर नहर में पानी पूरी तरह से बंद है। पानी बंद होते ही मछुआरे मछली पकडऩे सक्रिय हो गए हैं। जहां-जहां नहर में कहीं छेद है वहां वहां मछली होने की आशंका में मछुआरे नहर की दीवार से छेड़छाड़ कर रहे हैं। मछली मिले या न मिले पर नहरों को जरूर छतिग्रस्त किया जा रहा है। हालांकि मछुआरों को नहर में बड़ी तादात में मछली मिल भी रहा है। जिसके चलते वे ऐसी हरकत कर रहे हैं। कहीं-कहीं नहर में जाल लगाकर मछली पकड़ रहे हैं। लेकिन सबसे अधिक जर्जर नहरों में मछली अधिक मिल रही है। जिसे देखते हुए छेड़छाड़ की जा रही है। आपको बता दें कि तीन माह पहले कोरबा जिले के पहाडग़ांव में कुछ इसी तरह की हरकतों की वजह से नहर पूरी तरह से टूटकर क्षतिग्रस्त हो चुकी थी। इससे नहर का पानी खेतों में भर गया। नहर की मरम्मत करने में सिंचाई विभाग को पूरी तरह से एक माह का समय लग गया। इससे सबसे बड़ा नुकसान किसानों को उठाना पड़ा। क्योंकि हजारों एकड़ में लगी धान की फसल तबाह हो गई थी। वहीं तीन जिले के किसानों को नहर से पानी की सुविधा का लाभ नहीं मिल सका। इससे हजारों एकड़ में लगी धान की फसल सूखे की चपेट में आ गई। सिंचाई विभाग को मरम्मत के नाम पर करना पड़ता है करोड़ों खर्च गौरतलब है कि प्रदेश में नहर मरम्मत के नाम पर सरकार करोड़ों रुपए खर्च करती है। सालाना करोड़ों रुपए का बजट आता है। हालांकि मरम्मत के नाम पर केवल नहरों की लीपापोती की जाती है। शेष रकम अधिकारियों की जेब में जाती है। वहीं करोड़ों रुपए खर्च करने के बाद पहली बारिश में पानी की सप्लाई के बाद नहर जस की तस हो जाती है। इससे नहर की मजबूती पर सवाल उठने लगता है। कहीं-कहीं मछुआरे मछली के लिए नहर में ब्लास्टिंग भी कर रहे हैं। ताकि उन्हें मछली मिल सके। जहां जहां की नहर में भरपूर पानी जमा है वहां लोग नहर से छेड़छाड़ करते हुए मछली पकड़ रहे हैं। एक दशक पहले तो मछुआरों ने हसदेव नदी के पीथमपुर एनीकट में ही ब्लास्टिंग कर एनीकट को क्षतिग्रस्त कर दिया था।