अहमदाबाद, 0६ फरवरी ।
अमेरिका से निर्वासित किए गए गुजरात के अवैध आप्रवासियों के परिवारों ने दावा किया है कि उन्हें नहीं पता कि उनके परिजन अमेरिका कैसे पहुंचे। पूर्व उपमुख्यमंत्री नितिन पटेल ने निर्वासित गुजराती लोगों के प्रति सहानुभूति व्यक्त की।उन्होंने कहा कि वे नौकरी या करियर की तलाश में विदेश गए थे और उन्हें अपराधी के रूप में नहीं दिखाया जाना चाहिए। अमेरिका से अमृतसर पहुंचे 104 निर्वासितों में से 33 गुजरात से हैं। इनमें से अधिकांश मेहसाणा, गांधीनगर, पाटन, वडोदरा और खेड़ा जिलों से हैं। उम्मीद है कि वे गुरुवार को अपने पैतृक स्थानों पर पहुंच जाएंगे।मेहसाणा जिले के चंद्रनगर-दाभला गांव के निवासी कनुभाई पटेल की बेटी भी निर्वासितों में शामिल है। कनुभाई ने दावा किया कि वह एक महीने पहले अपने दोस्तों के साथ यूरोप छुट्टी मनाने गई थी। मुझे नहीं पता कि यूरोप पहुंचने के बाद उसने क्या योजना बनाई। आखिरी बार हमारी उससे बात 14 जनवरी को हुई थी। हमें नहीं पता कि वह अमेरिका कैसे पहुंची।एक अन्य निर्वासित वडोदरा जिले के लूना गांव की है। उसके चाचा प्रवीण पटेल ने पत्रकारों को बताया कि वह एक महीने पहले अमेरिका के लिए रवाना हुई थी। वह पास में ही, उसी गांव में रहती है। उसकी शादी एक साल पहले हुई थी और वह पिछले महीने अमेरिका गई थी। हमें केवल इतना पता है कि उसे निर्वासित कर दिया गया है।
हमें उसके निर्वासन के पीछे का कारण नहीं पता।पूर्व में गुजरात पुलिस ने अवैध तरीकों से लोगों को अमेरिका और कनाडा भेजने वाले आव्रजन एजेंटों के खिलाफ कार्रवाई की थी। गांधीनगर के डिंगुचा गांव का एक परिवार 2022 में कनाडा से अवैध रूप से अमेरिका में दाखिल होने की कोशिश करते समय ठंड से मर गया। जनवरी 2022 में अमेरिका-कनाडा सीमा पर, जगदीश पटेल, उनकी पत्नी और उनके दो बच्चों की बर्फानी तूफान के बीच अत्यधिक ठंड के संपर्क में आने के कारण मृत्यु हो गई थी।बाद में पुलिस ने इस मामले में तीन एजेंट योगेश पटेल, भावेश पटेल और दशरथ चौधरी को गिरफ्तार किया। जांच में पता चला कि आरोपियों ने इसी नेटवर्क के जरिए सात अन्य लोगों को कनाडा भेजा था।