21 दिन पद यात्रा कर कोरबा से पहुंचे अयोध्या
कोरबा। सच ही कहां गया है कि सपना होने के साकार होते हैं जिनके पंखों में जान होती है। 700 किलोमीटर पैदल चलकर मंजिल प्राप्त करना किसी सपने से कम नहीं। औद्योगिक नगर कोरबा से शुरू हुई पदयात्रा उत्तर प्रदेश के अवध मंडल के मुख्यालय और श्री राम की नगरी अयोध्या में पूर्ण हुई। 9 युवक इस यात्रा में सहभगी बने। अयोध्या से लौटे कृष्णा वैष्णव ने बातचीत के दौरान अपने अनुभव साझा किए हर कहीं लोगों से गजब का अपनापन प्राप्त हुआ जिससे कुछ भी अजीब नहीं लगा। 25 वर्षीय कृष्णा नगर पालिका निगम के वार्ड संख्या 12 के अंतर्गत अमरैयापारा के निवासी हैं, जिन्होंने जीवन में पहली बार इतनी लंबी पदयात्रा की। कभी कल्पना नहीं की थी कि इस तरह की यात्रा करना संभव होगी लेकिन इसे पूरा करने के साथ विशेष संतुष्टि है। 26 दिसंबर को पूजा पाठ के साथ उनकी टीम उत्तर प्रदेश के अयोध्या के लिए रवाना हुई। कोरबा जिले से लेकर सूरजपुर, अंबिकापुर, बलरामपुर जिले में जहां कहीं से पदयात्रा करने वाले निकले, वहां के लोगों ने उत्साह के साथ स्वागत सत्कार किया और भगवान का जय घोष किया। राष्ट्रीय संगठन की व्यवस्था के अंतर्गत यात्रियों को हर क्षेत्र में अपेक्षित सहयोग प्राप्त हुआ। बलरामपुर जिले के धनबार अंतरराज्यीय जांच नाका में उन्होंने आश्रय लिया। अगली सुबह वे उत्तर प्रदेश की सीमा में प्रवेश हुए। जमीन वही, पेड़ पौधे वही, साइन बोर्ड अलग थे। भाषा कुछ अलग पर मन में सीधे उतरने वाली। हमारे जैसे भोले भाले लोग। मालूम हुआ कि रामभक्त अयोध्या जा रहे है तो भीड़ हमारे साथ। फिर स्वागत भी। उत्तर प्रदेश में चलते हुए रेणुकूट मिर्जापुर वाराणसी जौनपुर और इन क्षेत्रों के सैकड़ो गांव को हमने पर किया और हर स्थान पर लोगों के अपनेपन ने हृदय को पुलकित कर दिया। उन्होंने यादों में उतरकर बताया कि यहां से काफी सामान रखा गया था ताकि रास्ते मे दिक्कत ना हो, लेकिन रामभक्ति की बयार में हमे अपनी तरफ से कुछ करने की जरूरत नही पड़ी। पूरे रास्ते मे , खानपान की चीज दुकानदारों ने खुद उपलब्ध कराई और आग्रह करने पर भी रुपये नहीं लिए। आडंबर से दूर रहने में भरोसा करने वाले कृष्ना ने बताया कि प्रतिदिन नियम से स्नान ध्यान के साथ आगे की यात्रा शुरू की जाती थी और अधिकतम 8 बजे के बाद उसे अस्थाई विराम दिया जाता था। पुरी यात्रा के दौरान हाईवे के साथ-साथ उत्तर प्रदेश के व्यस्त आवाजाही वाले इन इलाकों में पद यात्रियों को सुविधा से बचाने के लिए पुलिस ने खुद मोर्चा संभालने के साथ उन्हें आगे रास्ता दिलवाया। लम्बी यात्रा कर अयोध्या की पावन धरती में प्रवेश कर लगा मानो दर्द या कठिनाई जैसा कुछ शेष रहा नही। गुजरात के आनन्द शहर के एक संत से हुए परिचय ने वहां रामजी के दर्शन को अत्यंत सहज बना दिया।