जांजगीर चंापा। हसदेव नदी के तट पर दिन भर अवैध रेत उत्खनन का कारोबार धड़ल्ले से चल रहा है। जबकि प्रदेश सरकार ने 15 जून से 15 अक्टूबर तक रेत उत्खनन पर पाबंदी लगा दी है।
जिले के रेत माफिया खनिज अफसरों पर हावी हैं। वहीं माफियाओं को उफनती नदी का तनिक भी डर नहीं रह गया है। हसदेव नदी में रात को जेसीबी मशीन से रेत निकाली जा रही है और नदी तट पर डंप कर इसे दिन में खपाया जा रहा है। इतना ही नहीं हसदेव नदी के तट पर दिन भर अवैध रेत उत्खनन का कारोबार धड़ल्ले से चल रहा है। जबकि प्रदेश सरकार ने 15 जून से 15 अक्टूबर तक रेत उत्खनन पर पाबंदी लगा दी है। इसके बाद भी जिले में रेत का अवैध उत्खनन दिन दहाड़े हो रहा है। इससे सरकार को कोई सरोकार नहीं है।
प्रदेश सरकार ने रेत उत्खनन पर प्रतिबंध जरूर लगा दिया है लेकिन यह केवल कागजों तक सीमित है। जांजगीर-चांपा जिले में अब भी दर्जनों अवैध रेत घाट आबाद है। दिलचस्प बात यह है कि रेत माफिया रात को चेन माउंटेन मशीन से उफनती नदी व उसके तट से रेत निकाल रहे हैं और रेत डंप कर उसे दिन में खपा रहे हैं।ऐसा नहीं है कि इसकी जानकारी कलेक्टर व खनिज अफसरों को नहीं है। अफसरोंं को इस बात की जानकारी होने के बाद भी वे कार्रवाई के नाम पर केवल खानापूर्ति करते हैं। विडंबना यह है कि, गाड़ापाली रेत घाट में भादा निवासी पूरन कश्यप नाम के व्यक्ति ने अवैध रूप से रेत का पहाड़ बना लिया है। रेत को बिलासपुर में खपा रहा है। उसके मुंसी ने बताया कि पूरन कश्यप की रेत डंपिंग यार्ड है। इस संबंध में वही जवाब दे पाएंगे। हमें इसकी जानकारी नहीं है। हम केवल वर्कर हैं।
16 से अधिक रेत घाट चिन्हांकित
जिले में हसदेव नदी व चित्रोत्पला (महानदी) गुजरी है, जहां नदी तट पर र्जनों चेन माउंटेन मशीन के अलावा जेसीबी सडक़ किनारे किसी झुरमुट मिल जाएगा। ऐसी मशीनें रात को नदी से रेत की खुदाई करते हैं फिर नदी तट पर रेत का डंप कर देते हैं। फिर दिन में इसे खपाया जाता है।