शिमाल, २५ जुलाई [एजेंसी]।
प्रदेश हाईकोर्ट ने 198 बीआरसीसी शिक्षकों को वापस स्कूलों में भेजने के आदेशों पर अपनी मुहर लगा दी। 13 जून 2023 को प्रदेश सरकार ने 198 बीआरसीसी को वापिस स्कूलों में भेजने के आदेश जारी किए थे। मुख्य न्यायाधीश एमएस रामचंद्र राव व न्यायाधीश अजय मोहन गोयल की खंडपीठ ने मायाराम शर्मा व अन्य द्वारा दायर याचिका को खारिज कर दिया।उनके अनुसार सर्व शिक्षा अभियान के अंतर्गत 6 वर्ष से 14 वर्ष की आयु के बच्चों को जरूरी शिक्षा मुहैया करवाने के उद्देश्य से इस नीति के अंतर्गत प्रार्थी को तैनात किया गया है। याचिका में दिए तथ्यों के अनुसार प्रार्थियों को बी आर आर सी सी नीति के अंतर्गत काफी राशि का व्यय व प्रशिक्षण के लिए समय का उपयोग करने के पश्चात तैनात किया गया था। प्रार्थियों के अनुसार राज्य सरकार ने शक्तियों का दुरुपयोग करते हुए 5 जुलाई 2023 को उन्हें फिर से स्कूलों में भेजने के आदेश पारित कर दिए।इन आदेशों को प्रार्थियों ने याचिका के माध्यम से चुनौती दी थी। दूसरी ओर से राज्य सरकार की ओर से कोर्ट को यह बताया गया था कि वर्तमान में सभी जिलों में लगभग 3889 पद जेबीटी और 597 पद हेड टीचर के रिक्त पड़े हैं। टीजीटी आर्ट्स के 691, नॉन मेडिकल के 689 और मेडिकल के 371 पद रिक्त पड़े हैं।रिक्त पदों के चलते बच्चों की शिक्षा पर विपरीत प्रभाव पड़ रहा है। कोर्ट ने कहा कि सरकार द्वारा बीआरसीसी को फिर से स्कूलों में भेजने के इस कदम में कुछ भी गैरकानूनी नहीं है। हाईकोर्ट ने राज्य सरकार की दलीलों से सहमति जताते हुए कोर्ट में आए 55 शिक्षकों की याचिका को खारिज कर दिया।