कोरबा। हाथी प्रभावित ग्राम पोंडी ब्लॉक के लगभग 70त्नग्राम होंगे जो हाथियों से प्रभावित, जहाँ न तो सोलर लाइट दिया गया न ही और कोई सुरक्षा हेतु सावधानी वाला सामग्री दिया गया। जबकि अगर हाथियों के संरक्षण हेतु वन्य जीव मे शामिल हैँ तो इस बजट का उपयोग आखिर किस तरीके से किया जा रहा है।
इस भयानक परेशानी का दोस किसान किसे दे, जो हाथियों के आतंक से बहुत परेशान है। ना विभाग का सहयोग मिल रहा न प्रसासन का मजबूरी किसान आत्महत्या करने को भी बेबस होते जा रहे हैं, इसलिए लिए सभी किसानो ने निर्णय लिया एक आवाज बनकर विशाल आंदोलन कि जानी चाहिए। भले ही जेल जाना क्यों न पड़े लेकिन अपनी परेशानी अपनी तकलीफे बताने के लिए प्रसासन कि आँखे खोलनी पड़ेगी।
किसानो ने बताया कि इस आंदोलन मे किसी भी राजनितिक दल का समावेश नहीं है यह सिर्फ और सिर्फ किसानो कि ग्रामीणों कि लड़ाई है, इस पर किसी भी दलगत राजनीती कार्यकर्ता शामिल नहीं हैं। इसका विषेस ध्यान रखा गया है। इस बैठक मे सामान्य लोगो की तरह आम जनता के रूप मे बैठकर तय किये गए और हाथियों की इस समस्या को बड़ा आंदोलन का रूप देने के लिए निश्चित तिथि तय हो रही है।
सालिहाभाटा, तुर्रा पारा, ठाड़पखना, बाला, सिकता पारा, मनोहरा, दमोकुंडा, झालीयमुड़ा, मानिकपुर, भूलेझरिया, डांघिआमा, गुरसिया, बांधापारा, छाता पखना, सरभोका, रिंगनिया, बंजारी, गांधीनगर, कोद्ववारी, मड़ई, बूका, पचरा, मड़वाढोढा, कारीछापर, माँतीन, आमाटीकरा, देमट्टी, हड़मोड, लमना, परला, कापा नवापारा, ढोढबहार, चोटिया, बनिया, गाडागोड़ा, सेमराहवा, हरदेवा, बर्रा, बेतलो, साशिन, तनेरा, सुखरिताल, सरमा, जलके, पंनगवा, कोरबी, बीजाडांड, झीनपुरी, पाली, सेंन्हा, सितिपखना, फूलसर, लाद, रोदे, पोंडी खुर्द, सलाईगोट, लालपुर, घूँचापुर, जजगी, सिमगा, घोसरा और भी अन्य ग्राम हैं जो उक्त आंदोलन मे शामिल होंगे।