लखनऊ, २५ जुलाई [एजेंसी]।
विपक्षी दलों में सेंध लगाकर भाजपा अपने विरोधियों पर मनौवैज्ञानिक दबाव बनाने के साथ ही पिछले लोक सभा में हारी 14 सीटों पर जातीय समीकरणों को मजबूत कर पासा पलटने की मुहिम में जुटी है। पूर्व मंत्री दारा सिंह चौहान और सुभासपा अध्यक्ष ओम प्रकाश राजभर को साधने के बाद सोमवार को विपक्षी दलों के कई चेहरों को अपने खेमे में शामिल कराना पार्टी की इसी रणनीति का हिस्सा है। विपक्षी दलों के नेताओं की नई खेप की आमद से भाजपा ने पूर्वांचल के साथ ही पश्चिमी उप्र में सहारनपुर और मुरादाबाद मंडलों की लोकसभा सीटों पर अपनी पकड़ मजबूत करने की कोशिश की है।पिछले लोक सभा चुनाव में भाजपा ने प्रदेश की 80 में से 62 और उसके सहयोगी अपना दल (एस) ने मीरजापुर और राबर्ट्सगंज की दो लोक सभा सीटें जीती थीं। बाकी 16 सीटें बसपा, सपा और कांग्रेस के खाते में गई थीं। उप चुनाव में भाजपा ने आजमगढ़ और रामपुर लोक सभा सीटें सपा से छीन ली थीं। 14 सीटें अब भी पार्टी के कब्जे से बाहर हैं, जिनमें बिजनौर, नगीना, सहारनपुर, अमरोहा, संभल, मुरादाबाद, मैनपुरी, रायबरेली, अंबेडकरनगर, श्रावस्ती, गाजीपुर, घोसी, जौनपुर और लालगंज शामिल हैं। इन 14 सीटों में से बिजनौर, सहारनपुर, नगीना, रामपुर, संभल, अमरोहा, अंबेडकरनगर, श्रावस्ती, गाजीपुर, लालगंज, जौनपुर, घोसी सीटें भाजपा ने 2014 में जीती थीं लेकिन 2019 में हार गई। उपचुनाव में रामपुर और आजमगढ़ सीटों को जीतने के बावजूद भाजपा ने जोखिम के लिहाज से इन्हें भी रेड जोन में रखा है। पार्टी का ध्येय इन सीटों की कमजोर कडिय़ों को चिह्नित कर उन्हें दूर करते हुए पार्टी की जीत के लिए मजबूत किलाबंदी करना है।सहारनपुर और मुरादाबाद मंडलों में सैनी बिरादरी की बड़ी संख्या है। भाजपा की सर्वाधिक हारी हुईं सीटें मुरादाबाद मंडल में हैं। सहारनपुर से ताल्लुक रखने वाले पूर्व मंत्री साहब सिंह सैनी और मुजफ्फरनगर निवासी पूर्व सांसद व रालोद नेता राजपाल सैनी के भाजपा में शामिल होने से दोनों मंडलों में सैनी बिरादरी पर पार्टी की पकड़ मजबूत होगी। खासतौर पर तब जब पिछले विधान सभा चुनाव से पहले भाजपा छोडक़र सपा में शामिल हुए पूर्व मंत्री धर्म सिंह सैनी की अब तक पार्टी में वापसी नहीं हो पाई है।दारा सिंह चौहान और ओम प्रकाश राजभर के बाद अब जौनपुर से ताल्लुक रखने वाले पूर्व मंत्री जगदीश सोनकर, राजनीतिक परिवार से नाता रखने वाली पूर्व विधायक सुषमा पटेल और सपा के पूर्व विधायक गुलाब सोनकर को अपने साथ जोडक़र भाजपा ने पूर्वांचल की जौनपुर सीट पर अपनी पकड़ मजबूत करने के साथ आसपास के क्षेत्र में भी दलित समुदाय और कुर्मी बिरादरी को बड़ा संदेश दिया है।सुषमा पटेल के श्वसुर दूधनाथ पटेल और सास सावित्री पटेल भी जौनपुर की मडिय़ाहूूं सीट से विधायक रह चुके हैं। दलित और कुर्मी बिरादरी के इन नेताओं के भाजपा में शामिल होने से आजमगढ़ जिले की लालगंज लोक सभा सीट पर भी पार्टी की स्थिति सुदृढ़ होगी। वहीं राज्य सभा के उप सभापति रहे श्यामलाल यादव की पुत्री शालिनी यादव को पार्टी में शामिल कर भाजपा ने पूर्वांचल में यादव बिरादरी पर भी पकड़ बनाने की कोशिश की है। शालिनी महापौर के चुनाव में वाराणसी से कांग्रेस प्रत्याशी थीं जबकि 2019 के लोक सभा चुनाव में वह वाराणसी सीट से बतौर सपा प्रत्याशी प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से मुकाबिल हुई थीं।