नईदिल्ली, 0८ मार्च ।
पांच दशक से अधिक पुराने हिंदी विरोध को तमिलनाडु के आगामी विधानसभा चुनाव में मुद्दा बनाने की कोशिश में जुटे मुख्यमंत्री एमके स्टालिन को केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने आईना दिखाया है। अमित शाह ने स्टालिन के हिंदी विरोध को सिर्फ राजनीतिक हथकंडा होने का संकेत देते हुए कहा कि मातृभाषा में मेडिकल और इंजीनियरिंग की पढ़ाई को हरी झंडी देने के बावजूद स्टालिन ने तमिलनाडु में इसके लिए कोई प्रयास नहीं किया है। उन्होंने स्टालिन को जल्द से जल्द मेडिकल और इंजीनियरिंग की पढ़ाई तमिल भाषा में शुरू करने की चुनौती दी। चेन्नई में सीआइएसएफ के स्थापना दिवस कार्यक्रम में अमित शाह ने स्टालिन की दक्षिण भारत और उत्तर भारत के बीच विभेद पैदा करने की कोशिशों का पर्दाफाश करते हुए साफ किया कि तमिल भाषा, संस्कृति और परंपराएं भारतीय संस्कृति का अनमोल गहना हैं और पूरा देश इसे स्वीकार करता है।उन्होंने कहा कि तमिलनाडु ने भारतीय संस्कृति को हर क्षेत्र में मजबूत किया है, फिर चाहे यह प्रशासनिक सुधार हों, आध्यात्मिक ऊंचाई हासिल करना हो, शिक्षा हो या देश की एकता व अखंडता हो। उन्होंने कहा कि मोदी सरकार तमिल सहित सभी भारतीय भाषाओं को संरक्षित और विकसित करने के साथ ही उन्हें रोजगार का जरिया भी बनाने की कोशिश कर रही है।
अमित शाह ने कहा कि तमिल में मेडिकल और इंजीनियरिंग की पढ़ाई शुरू करने से मातृभाषा के रूप में तमिल न सिर्फ मजबूत होगी, बल्कि तमिल माध्यम से शिक्षित होने वाले छात्रों को करियर में आगे बढऩे का समान अवसर भी मिलेगा।तमिल सहित सभी भारतीय भाषाओं को संरक्षित करने के लिए मोदी सरकार की प्रतिबद्धता जताते हुए शाह ने कहा कि केंद्रीय अर्द्धसैनिक बलों (सीआईएसएफ, सीआरपीएफ, बीएसएफ, आईटीबीपी और एसएसबी) की भर्ती परीक्षाओं को संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल सभी भारतीय भाषाओं में कराने भी फैसला किया है।अब सिर्फ तमिल जानने वाले युवा भी केंद्रीय अर्द्धसैनिक बलों की भर्ती परीक्षाओं में भाग ले सकते हैं और नौकरी पा सकते हैं। जबकि पहले ये भर्ती परीक्षाएं सिर्फ हिंदी और अंग्रेजी में होती थी और तमिल जानने वाला युवा इनमें हिस्सा ही नहीं ले पाता था। तमिलनाडु के तक्कोलम में स्थित सीआइएसएफ के क्षेत्रीय प्रशिक्षण केंद्र का नाम चोल वंश के राजा राजादित्य चोल के नाम पर रखने की घोषणा कर अमित शाह ने साफ कर दिया कि मोदी सरकार तमिल भूमि पर पराक्रम और बलिदान की गाथाएं लिखने वाले ऐतिहासिक महापुरुषों का सम्मान करना नहीं भूलती। उन्होंने चोल साम्राज्य की महान परंपराओं को आगे बढ़ाने वाले राजादित्य चोल के नाम पर क्षेत्रीय प्रशिक्षण केंद्र के नामकरण को गौरव की बात बताया।
तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने शुक्रवार को कहा कि वह ब्रिटिश औपनिवेशवाद के स्थान पर हिंदी औपनिवेशवाद को स्वीकार नहीं करेंगे। एक इंटरनेट मीडिया पोस्ट में स्टालिन ने कहा, पेड़ शांत रहना पसंद कर सकता है, लेकिन हवा शांत नहीं होगी।केंद्रीय शिक्षा मंत्री ने हमें पत्र लिखने के लिए उकसाया, जबकि हम बस अपना काम कर रहे थे। वह अपना स्थान भूल गए और पूरे राज्य पर हिंदी थोपने के लिए धमकाने की हिम्मत की और अब उन्हें ऐसी लड़ाई फिर शुरू करने के परिणाम भुगतने पड़ रहे हैं जो वह कभी नहीं जीत सकते।उन्होंने कहा, सबसे बड़ी बिडंबना यह है कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एईपी) खारिज करने वाले तमिलनाडु ने पहले ही कई ऐसे लक्ष्य प्राप्त कर लिए हैं जिन्हें नीति के तहत 2030 तक प्राप्त करना है।
यह एलकेजी के छात्र द्वारा पीएचडी धारक को निर्देश देने के समान है। द्रविड़ दिल्ली से निर्देश नहीं लेते। द्रमुक प्रमुख ने लिखा, इतिहास से स्पष्ट है कि जिन्होंने तमिलनाडु पर हिंदी थोपने की कोशिश की, वे या तो हार गए या बाद में अपना रुख बदल लिया और द्रमुक के साथ जुड़ गए।’