नईदिल्ली, 0६ नवंबर ।
विदेश मंत्रालय और पीएम नरेंद्र मोदी के बाद विदेश मंत्री एस जयशंकर ने भी कनाडा में हिंदू सभा मंदिर पर खालिस्तान समर्थकों के हमले की कड़े शब्दों में निंदा की है और कहा है कि यह घटनाक्रम बताता है कि कनाडा में अतिवादियों को कितनी राजनीतिक जगह दी जाती है। आस्ट्रेलिया की राजधानी कैनबरा में विदेश मंत्री पेनी वोंग के साथ द्विपक्षीय वार्ता के बाद जयशंकर ने यह बात कही।बैठक में आस्ट्रेलिया की तरफ से कनाडा में खालिस्तानी आतंकवादी हरदीप सिंह नि’जर की हत्या के संदर्भ में भारत पर लगाये गये आरोपों को भी उठाया गया है। हालांकि इससे भारत व आस्ट्रेलिया के द्विपक्षीय रिश्तों पर किसी तरह का असर पडऩे की संभावना नहीं है। मंगलवार को हुई बैठक में भी दोनों विदेश मंत्रियों ने आपसी संबंधों के तमाम आयामों को और मजबूत बनाने पर बात की है।कनाडा को लेकर पूछे गये सवाल पर जयशंकर ने कहा कि, “मैं इस संबंध में तीन बातें कहूंगा। पहला, कनाडा की यह आदत हो गई है कि वह बगैर किसी ठोस साक्ष्य के आरोप लगाता है। दूसरा, कनाडा में हमारे राजनयिकों की जासूसी हो रही है जो पूरी तरह से अस्वीकार्य है। तीसरा, हिंदू मंदिर पर जो हमला हुआ है उसका वीडियो आप सभी ने देखा होगा, मैं यह मानता हूं कि यह बताता है कि वहां अतिवादियों की कितनी राजनीतिक जगह दी जाती है। सनद रहे कि एक दिन पहले पीएम मोदी ने कहा कि, मैं कनाडा में एक हिंदू मंदिर पर जानबूझकर किए गए हमले की कड़ी ङ्क्षनदा करता हूं, हमारे राजनयिकों को डराने-धमकाने की कायरतापूर्ण कोशिशें भी उतनी ही भयावह है। कनाडा के ब्रैम्पटन में मंदिर पर हुए हमले का मामला तूल पकड़ रहा है। अब इसको लेकर भारत के विदेश मंत्री सुब्रह्मण्यम जयशंकर का बयान भी सामने आया है, उन्होंने कहा, सोमवार को एक हिंदू मंदिर में तोडफ़ोड़ हुई बेहद चिंताजनक है। विदेश मंत्री ने आगे कहा, कनाडा में चरमपंथी ताकतों को पॉलिटिकल स्पेस दिया जा रहा है। कनाडा की तरफ से भारतीय राजनयिकों की निगरानी रखी जा रही है, जो अस्वीकार्य हैघटना के विरोध में सोमवार को वहां हिंदू समुदाय भी सडक़ पर उतर गया। इस हमले के विरोध में बड़ी संख्या में हिंदू लोग विरोध प्रदर्शन करने लगे। इस दौरान प्रदर्शनकारियों ने बंटोगे तो कटोगे और इंकलाब जिंदाबाद के नारे लगाए।बता दें कि यह घटना ओटावा की तरफ से कनाडा में 2023 में एक सिख अलगाववादी नेता की हत्या से जोडक़र छह भारतीय राजनयिकों को निष्कासित करने के कुछ सप्ताह बाद हुई। कनाडा ने भारत सरकार पर कनाडा में दक्षिण एशियाई असंतुष्टों के खिलाफ व्यापक अभियान चलाने का आरोप लगाया है, जिससे नई दिल्ली इनकार करती है।